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Toggleनमाज़े जनाज़ा का तरीका
नमाज़े जनाज़ा पढ़ना “फ़र्जे किफ़ाया” है, यानी कोई एक भी अदा कर लें, तो सब की नमाज़ अदा हो जाती है, लेकिन अगर कोई न पढ़े तो जिन जिन को खबर लगी थी वो सब गुनाहगार होते हैं।
नीयत
जनाज़े की नमाज़ की दुआ बच्चे और बड़े के लिए अलग होती है। इसका ख्याल आप पहले ही रखिए और जब आप नीयत करें, तभी दिमाग में फैसला कर लीजिए की नमाज़ बड़े या बच्चे की पढ़ रहे हैं। आप इस तरह से नीयत कह सकते हैं।
‘नीयत की मैंने, इस नमाज़े जनाज़ा की, अल्लाह तआला के लिए, चार तक्बीर के साथ। दुआ इस मय्यत के लिए, इस इमाम के पीछे, रुख काबा शरीफ़ की तरफ़’
तक्बीर
नीयत करने के बाद आप तक्बीरे तहरीमा की तरह दोनों हाथ कानों और सर के बराबर तक उठा कर नाफ़ के नीचे बांध लीजिए, फिर सना पढ़िए।
सुब्हा-न-कल्लाहुम-म व बिहम्दिक वतबारकस्मू-क वतआला जद् दु-कव जल्ला सनाओक-अ वला इला-ह गैरु-क०
सना के बाद इमाम अल्लाहु अक्बर कहे तो आप भी तक्बीर कहिए और दरूद शरीफ़ पढ़िए। दरूद शरीफ़ के बाद अल्लाहु अक्बर कहेंगे, आप भी तक्बीर कहिए और यह दुआ पढ़िए। …
दुआ बड़े(मर्द या औरत) के लिए
अल्लाहुम-म मम्फिर लि हय्यिना व मय्यितिना व शाहिदिना व गाइबिना व सगीरिना व कबीरिना व ज़-क-रिना व उन साना अल्लाहुम-म मन अह यई त हू मिन्ना फ़अह यिही अलाल इस्लामि व मन तवफ्फै-तहू मिन्ना फ़ तवफ्फ़हू अलल ईमान०
तर्जुमा: ऐ अल्लाह! बख्श दे हमारे हर जिंदा और मुर्दा को और हमारे हर हाज़िर और गैर-हाज़िर को और हमारे हर छोटे और बड़े को और हमारे हर मर्द और औरत को। ऐ अल्लाह! तू हम में से जिस को जिंदा रखे, तो उस को इस्लाम पर जिंदा रख और जिस को मौत दे तो उसको ईमान पर मौत दे।
दुआ लड़के के लिए
अल्लाहुम-मज-अलहु लना फ़-र-तंव-वज- अलहु लना अज् रंव-व जुख रंव् वज् अलहु लना शाफ़िअंव-व मुश-फ्फ़आo
तर्जुमा: ऐ अल्लाह! इस लड़के को हमारे लिए आगे पहुंच कर सामान करने वाला बना दे और इसको हमारे लिए अज़ (की वजह) और वक़्त पर काम आने वाला बना दे और इसको हमारी सिफ़ारिश करने वाला बना दे और वह जिसकी सिफ़ारिश मंजूर हो जाए।
दुआ लड़की के लिए
अल्लाहुम्मज-अलहा ल ना फ़-र-तंव-वज्-अल हा लना अज् रंव-व जुख रंव् वज् अलहा लना शाफ़िअतंव-व मुशफ्फ़अ:0
तर्जुमा: ऐ अल्लाह! इस लड़की को हमारे लिए आगे पहुंच कर सामान करने वाली बना दे और हमारे लिए अज़ (की वजह) और वक़्त पर काम आने वाली बना और इसको हमारे लिए सिफ़ारिश करने वाली बना दे और वह जिसकी सिफ़ारिश मंजूर हो जाए।
दुआ के बाद इमाम के साथ आप भी तक्बीर ‘अल्लाहु अक्बर’ कहिए, फिर इमाम के साथ साथ सलाम फेर लीजिए।
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