मक्का और मदीना की मस्जिदों में नमाज़ पढ़ना।

मक्का और मदीना की मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की फजीलत।

620: अबू हुरैरा रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है, वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बयान करते हैं कि आपने फरमाया तीन मस्जिदों के अलावा किसी और मस्जिद की तरफ सफर न किया जाये, मस्जिदे हराम, मस्जिदे नबवी और मस्जिदे अकसा।

फायदे : सफर के लिए सामान तैयार करना और जियारत के लिए घर से निकलना यह सिर्फ इन्हीं तीन जगहों के साथ खास है, नीज बुजुर्गों के मजारों पर इस नियत से जाना कि वह खुश होकर हमारी हाजत रवाई करेंगे या उसका वसीला बनेंगे और इस किस्म के दूसरे बातिल वहम इस हदीस के तहत सिरे से नाजाइज और हराम हैं। (औनुलबारी, 2/231)

Hadis 621

अबू हुरैरा रज़ियल्लाह ‘अन्हु से ही रिवायत है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया मेरी इस मस्जिद में एक नमाज़ मस्जिद हराम के अलावा दूसरी मस्जिदों की हजार नमाज़ों से बेहतर है।

फायदे : मेरी मस्जिद से मुराद मस्जिदे नबवी है। हजरत इमाम बुखारी का मकसूद यह है कि मस्जिदे नबवी की जियारत के लिए सफर का सामान बांधना चाहिए और जो वहां जायेगा, जरूरी तौर पर उसे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और हजरत अबू बकर और हजरत उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु पर दरूद और सलाम की सआदतें हासिल होगी।

कुबा की मस्ज़िद का बयान।

622: इब्ने उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है कि वह चाश्त की नमाज़ इन दो दिनों के अलावा किसी और दिन में न पढ़ते, एक जब मक्का मुकर्रमा आते तो जरूर पढ़ते क्योंकि वह मक्का में चाश्त ही के वक़्त आते थे। तवाफ करते फिर मकामे इब्राहिम के पीछे दो रकअत नमाज़ पढ़ते और दूसरे जिस दिन काबा जाते उस दिन भी चाश्त की नमाज़ पढ़ते थे, वह हर हफ्ते मस्जिदे कुबा जाते, जब मस्जिद में दाखिल होते तो नमाज़ पढ़े बगैर वहां से निकलने को बुरा खयाल करते।

उनका बयान है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कभी पैदल जाया करते और यह भी कहा करते थे कि मैं इस तरह करता हूँ जैसा कि मैंने अपने दोस्तों को करते देखा है और मैं किसी को मना नहीं करता कि रात या दिन में जब चाहे नमाज़ पढ़े, हां कभी सूरज निकलते या डूबते वक़्त नमाज़ न पढ़े।

फायदे: मालूम हुआ कि कुछ अच्छे कामों की अदायगी के लिए किसी दिन को खास करना और फिर उस पर हमेशगी करना जाइज है। (औनुलबारी, 2/238)

(मस्जिद नबवी में) कब्र और मिम्बर के बीच वाली जगह की फजीलत।

623: अबू हुरैरा रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है, वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बयान करते हैं कि आपने फरमाया, मेरे घर और मिम्बर के बीच जगह जन्नत के बागों में से एक बाग है और मेरा मिम्बर (कयामत के दिन) मेरे हौज पर होगा।

फायदे: यह फज़ीलत किसी और जमीन के टुकड़े को हासिल नहीं, हकीकत में यह हिस्सा जन्नत ही का है और आखिरत की दुनिया में उसे जन्नत ही का हिस्सा बना दिया जायेगा, चूंकि आप अपने घर में ही दफन हैं, इसलिए इमाम बुखारी ने इस हदीस पर “कब्र और मिम्बर के बीच हिस्से की फजीलत” का उनवान कायम किया है। (औनुलबारी, 2/238)

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