नमाज़ों के वक्तों का बयान

नमाज़ के वक्तों और उनकी फजीलत।

325: अबू मसऊद अन्सारी रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है कि वह मुगीरा बिन शुअबा रज़ियल्लाह ‘अन्हु के पास गये और उनसे एक दिन जब वह इराक में थे, नमाज़ में कुछ देर हो गई तो अबू मसऊद रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने उनसे कहा, ऐ मुगीरा रज़ियल्लाह ‘अन्हु तुमने यह क्या किया? क्या आपको मालूम नहीं कि एक दिन जिब्राईल अलैहिस्सलाम आये और उन्होंने नमाज पढ़ी तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने भी साथ पढ़ी। फिर दूसरी नमाज का वक्त हुआ तो जिब्राईल अलैहिस्सलाम के साथ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने नमाज़ पढ़ी। फिर तीसरी नमाज़ के वक्त जिब्राईल अलैहिस्सलाम के साथ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने नमाज़ अदा की। फिर (चौथी नमाज़ का वक्त हुआ) तो फिर भी दोनों ने इक्ट्ठे नमाज़ अदा की, फिर (पांचवी नमाज़ के वक्त) जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने नमाज़ पढ़ी तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने साथ ही नमाज़ अदा की। उसके बाद आपने फरमाया कि मुझे इसका हुक्म दिया गया था।

नमाज़ गुनाहों के लिए कफ्फारा है।

326: हुजैफा रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है, उन्होंने फरमाया कि हम उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु के पास बैठे हुए थे तो उन्होंने पूछा कि तुम में से किसको फितनों के बारे में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान याद है? मैंने कहा, मुझे ठीक उसी तरह याद है, जिस तरह आपने फरमाया था। उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने फरमाया, बेशक तुम ही इस किस्म की बात करने के बारे में हिम्मत कर सकते हो।

मैंने कहा कि इन्सान का वह फितना जो उसके घरबार, माल व औलाद और उसके पड़ोसियों में होता है। उसे तो नमाज, रोजा, सदका खैरात, अच्छी बातों का हुक्म और बुरी बातों से रोकना ही मिटा देता है। उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने फरमाया कि मैं इसके बारे में नहीं पूछना चाहता, बल्कि वह फितना जो समन्दर के मौज मारने की तरह होगा, हुजैफा रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने कहा, ऐ मोमिनों के अमीर! उस फितने से आपको कोई खतरा नहीं है?

क्योंकि उसके और आपके बीच एक बन्द दरवाजा है, यह दरवाजा आड़ किये हुए है। उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने फरमाया, बताओ, वह दरवाजा खोला जायेगा या तोड़ा जायेगा। हुजैफा रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने कहा, वह तोड़ा जायेगा। इस पर उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु कहने लगे तो फिर कभी बन्द ना होगा। जब हुजैफा रज़ियल्लाह ‘अन्हु से पूछा गया कि क्या उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु दरवाजे को जानते थे? उन्होंने कहा, “हां जैसे आने वाले दिन से पहले रात आती है।” मैंने उनसे ऐसी हदीस बयान की है जो मुअम्मा नहीं है।
हुजैफा रज़ियल्लाह ‘अन्हु से दरवाजे के बारे में पूछा गया तो वह कहने लगे कि यह दरवाजा खुद उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु थे।

फायदे: हजरत हुजैफा रज़ियल्लाह ‘अन्हु का मतलब यह था कि हजरत उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु को शहीद कर दिया जायेगा। और आपकी शहादत से फितनों का बन्द दरवाजा ऐसा खुलेगा, जो कयामत तक बन्द नहीं होगा। बिलाशुबा ऐसा ही हुआ। आपके रूख्सत होते ही तरह तरह के फितने जाहिर होने लगे।

Hadis 327

अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है कि एक आदमी ने किसी औरत का बोसा ले लिया। फिर वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास हाजिर हुआ और आपसे अपना जुर्म बयान किया तो अल्लाह तआला ने यह आयत नाजिल फरमायी, “ऐ पैगम्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! दिन के दोनों किनारों और रात गये नमाज़ कायम करो। बेशक नेकियाँ बुराईयों को मिटा देती हैं।” वह शख्स कहने लगा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! क्या यह मेरे ही लिए है? आपने फरमाया बल्कि मेरी तमाम उम्मत के लिए है।

फायदे: आयत में जिक्र की गई बुराईयों से मुराद छोटे गुनाह हैं। क्योंकि हदीस में है कि एक नमाज़ दूसरी नमाज़ तक गुनाहों को मिटा देती है। जब तक कि वह बड़े गुनाहों से बचा रहे। (औनुलबारी, 1/616)

Hadis 328

इब्ने मसऊद रज़ियल्लाह ‘अन्हु से ही एक दूसरी रिवायत में यह इजाफा है, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, यह हुक्म मेरी उम्मत के हर उस आदमी के लिए है, जिसने इस पर अमल किया।
फायदे: यह इजाफा किताबुत्तफसीर हदीस नम्बर 4687 में है।

नमाज़ वक्त पर पढ़ने की फजीलत।

329: अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है। उन्होंने फरमाया कि मैंने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा, अल्लाह तआला को कौनसा अमल ज्यादा पसन्द है, आपने फरमाया नमाज़ को उसके वक्त पर अदा किया जाये। इब्ने मसऊद रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने पूछा उसके बाद ( कौनसा)? आपने फरमाया, मां-बाप की फरमां बरदारी। इब्ने मसऊद ने पूछा, उसके बाद ? आपने फरमाया, अल्लाह की राह में जिहाद करना। इब्ने मसऊद रज़ियल्लाह ‘अन्हु फरमाते हैं कि आपने मुझ से इसी कद्र बयान फरमाया। अगर मैं और पूछता तो ज्यादा बयान फरमाते।

फायदे: कुछ हदीसों में दूसरे कामों को अफजल करार दिया गया है। इसकी यह वजह है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हर शख्स की हालत और उसकी ताकत और सलाहियत देखकर उसके लिए जो काम बेहतर होता, बयान फरमाते थे। (औनुलबारी, 1/618)

पांचों नमाजें गुनाहों को मिटाने वाली हैं।

330: अबू हुरैरा रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है। उन्होंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सुना। आप फरमाते थे, अगर तुममें से किसी के दरवाजे पर काई नहर हो जिसमें वह हर रोज पांच बार नहाता हो तो क्या तुम कह सकते हो कि फिर भी कुछ मैल कुचैल बाकी रहेगी। सहाबा किराम रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने अर्ज किया, ऐसा करना कुछ भी मैल कुचैल नहीं छोड़ेगा। आपने फरमाया कि पांचों नमाजों की यही मिसाल है। अल्लाह तआला इन की वजह से गुनाहों को मिटा देता है।

फायदे: सही मुस्लिम की रिवायत के मुताबिक गुनाहों से मुराद छोटे गुनाह हैं, नमाज़ की वक्त पर अदायगी से इस किस्म का कोई गुनाह बाकी नहीं रहता।

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