दो रकअत वाली नमाज़

तीन या चार रक्अतों वाली नमाज़

अगर आपने तीन या चार रक्आत की नीयत की थी तो अत्तहीयात पढ़ कर तक्बीर कहते हुए खड़े हो जाइए। बिस्मिल्लाह पढ़िए फिर सूर: फ़ातिहा पढ़िए। अगर आप फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ रहे हैं, तो तीसरी

और चौथी रक्त में सिर्फ सूर: ‘फ़ातिहा’ पढ़िए, लेकिन अगर आप वाजिब या सुन्नत  या नफ़ल नमाज़ पढ़ रहे हैं, तो सूर: फ़ातिहा के बाद कोई सूरः जरुर पढ़िए। सूरः के बाद रुकूअ और सज्दा कीजिए और जितनी रक्अतों की नीयत की थी, उसे पूरी करने के बाद सलाम फेर कर दुआ मांगिए।

तीन रक्अत वाली नमाज़

3 pahli rakat
3 doosri rakat
3 teesri rakat
3 witr 3rd rakat

चार रक्अत वाली नमाज़

4 pahli rakat
4 doosri rakat
4 teesri rakat
4 forth rakat

याद रखिए

सभी रक्अत में कुछ देर खड़ा होना, रुकूअ करना, दो सजदे करना फ़र्ज़ हैं।

पहली रकअत में तक्बीरे तहरीमा के बाद सना, तअव्वुज़, तस्मिया, सूर: फ़ातिहा से पहले पढ़िए, दूसरी रक्अत में पहले बिस्मिल्लाह आहिस्ता पढ़ी जाती है, फिर सूर: फ़ातिहा और फिर कोई सूर: पढ़ी जाती है।

दूसरी रक्अत में दो सज्दे करने के बाद अत्तहीयात पढ़ने के लिए बैठना जरुरी है।

इस बैठने को क़ादा कहते हैं। तीन या चार रक्अत वाली नमाज़ में दो ‘कादे’ होते हैं।

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