नमाज़ का तरीका

नमाज़ का तरीका

सबसे पहले वजू करें, नहाने की जरुरत हो, तो नहा लीजिए, अगर जमाअत का समय हो, तो मस्जिद में जाकर इमाम साहब के पीछे, नमाज़ पढ़िए, जमाअत से नमाज़ पढ़ना अच्छा है। वजू घर से करके जाएं, यह अच्छा हैं। आप मस्जिद में जाकर भी वजू कर सकते हैं। अगर आप अकेले नमाज़ पढ़ रहे हैं, तो वजू कीजिए, क़िब्ला की तरफ मुहं करके खड़े हो जाइए, नमाज़ की नीयत कीजिए, जुबान से नीयत अदा करना जरुरी नहीं, लेकिन अगर कह लें, तो बहुत अच्छा है।

अब दोनों हाथ ऊपर उठाइए हाथ खुले हुए हों, हथेलियां क़िब्ले की तरफ हों, उंगलियां सीधी हों, हाथ इतने ऊपर उठाइए कि दोनों हाथों के अंगूठे दोनों कानों की लौ के बराबर हो जाएं।

फिर तक्बीर यानी अल्लाहु अक्बर कहते हुए दोनों हाथ नाफ़ के नीचे बांध लीजिए, बायां हाथ नीचे और उसके ऊपर दाहिना हाथ रख लीजिए। बायां हाथ खुला रखिए, दाहिने हाथ की हथेली बाएं हाथ के गट्टे पर, तीन खुली हुई उंगलियां पहुंचे पर फैला कर रखिए, अंगूठे औए छोटी उंगली का हल्का बना लीजिए।

अब तस्बीह ‘सुब्हा-न-क….’ पढ़िए। इसके बाद ‘तअव्वुज़’ (अऊजुबिल्लाह) और ‘तस्मिया’ (बिस्मिल्लाह) पढ़िए। फिर सूरह फ़ातिहा यानी ‘अलहम्दु लिल्लाह….’ पढ़िए। इसके बाद कोई सूरह जैसे कुल या अय्युहलकाफिरूंन या कुल हुवल्लाहु अहद पढ़िए।

रुकूअ

सूर: के बाद तक्बीर कहते हुए रुकूअ के लिए झुकिए। 

रुकूअ में दोनों हथेलियां घुटनों पर मजबूती से रखिए। पिंडुलियां सीधी खड़ी कीजिए। दोनों कुहनियां भी सीधी रखिए। कमर फैलाइए। सर को कमर के बराबर सीध में और नज़र पैरों पर रखिए। अब तीन बार तस्बीह ‘सुब्हा-न रब्बियल अज़ीम’ पढ़िए।

कौमा

फिर (समिअल्लाहू लिमन हमिदह) कहते हुए खड़े हो जाइए और ‘रब्बना लकल हम्दु’ कहिए।

सज्दा

फिर तकबीर कहते हुए सज्दे के लिए झुकिए। पहले ज़मीन पर दोनों घुटने, फिर दोनों हाथ, फिर नाक, फिर माथा रखिए। सज्दे में माथा ज़मीन पर रखना लाज़िम है, वरना नमाज़ नहीं होगी।

सज्दे में चेहरा दोनों हाथों के दर्मियान इस तरह रहे कि अंगूठे कानों की लौ की सीध में हों। हथेलियां खुली हुई हों, उंगलियां भी खुली हुई हों और सर की सीध में ज़मीन पर रखी हुई हों, कमर उंची उठी हुई, कुहनियां और राने पेट से अलग रहें, पैरों के पूरे पंजे ज़मीन पर रखे हों। उंगलियों के सिरे क़िब्ले की तरफ़ मुड़े हुए हों। कम से कम एक पैर का अंगूठा ज़मीन से लगा रहना जरुरी है। अगर दोनों पैर ज़मीन से उठ गए तो नमाज़ नहीं होगी। सज्दे में तीन बार ‘सुब्हा-न रब्बियल अअ ला’ पढ़िए।

जल् सा

फिर तक्बीर कहते हुए दो जानू बैठ जाइए। बैठने के लिए घुटने मोड़ कर दायां पांव खड़ा कर लीजिए और बायां पांव बिछा लीजिए। उंगलियां जहां तक हो सके, क़िब्ले की तरफ़ रहें। आधे मिनट यानी इत्मीनान से बैठने के बाद दूसरा सज्दा कीजिए। तक्बीर कहते हुए सज्दे में जाइये और तीन बार फिर ‘सुब्हा-न रब्बियल अअ ला’ पढ़िए। अब तकबीर कहते हुए सीधे खड़े हो जाइए। अब सज्दे से उठने

और खड़े होने की बेहतर सूरत यह है की पहले पेशानी ज़मीन से उठाइए, फिर नाक, इसके बाद दोनों हाथ उठा कर घुटनों पर रखिए फिर सीधे खड़े हो जाइए। अब आप की पहली रक्अत पूरी हो गयी। इसी तरह दूसरी रक्अत पूरी कीजिए।

दूसरी रक्अत

में सूर: फ़ातिहा के बाद कोई सूरः पढ़िए, मगर यह ध्यान रखिए कि दूसरी रक्अत में पढ़ी जाने वाली सूर: पहली रक्अत की सूर: से बड़ी न हो।

क़ादा

दुसरे सज्दे के बाद बैठ जाइए और अत्तहीयात पढ़िए। अगर आपने दो रक्अत नमाज़ की नीयत की थी, तो अत्तहीयात के बाद दरूद शरीफ़ पढ़िए और उसके बाद दुआ ‘अल्ला हुम-म इन्नी …..’

सलाम

फिर सलाम यानी

‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहते हुए दाहिनी तरफ़ मुहं मोड़िए, फिर दोबारा सलाम कहते हुए बाई तरफ रुख कीजिए और दुआ पढ़िए,

‘अल्लाहुम-म-अन्तस्सलामु….’

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