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Toggleनीयत करने का तरीका
मुसलमानों की दूसरी इबादतों की तरह नमाज़ में भी नीयत करना जरुरी है। अगर आप नीयत किये बगैर नमाज़ पढ़ लेंगे, तो नमाज़ न होगी और उस नमाज़ को दोहराना भी जरुरी होगा। आप के दिमाग में यह बात साफ़ हो कि आप किस वक़्त की कौन-सी, कितनी रकअतों वाली और किस के लिए नमाज़ पढ़ रहे हैं, जैसे, नीचे लिखी हुई बात पांच फ़र्ज़ नमाज़ों में आप के मन में हो, जुबान से बोलना जरुरी नहीं है।
फ़ज्र नमाज़ की दो रक्अत फ़र्ज
मैं नीयत करता हूं दो रक्अत नमाज़ फ़र्ज़ फ़ज्र, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
फ़ज्र नमाज़ की दो रक्अत सुन्नत
मैं नीयत करता हूं दो रक्अत नमाज़ सुन्नत फ़ज्र, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
जुहर नमाज़ की चार रक्अत सुन्नत
मैं नीयत करता हूं, चार रकअत नमाज़ सुन्नत जुहर, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
जुहर नमाज़ की चार रकअत फ़र्ज
मैं नीयत करता हूं चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ जुहर, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
बाद जुहर नमाज़ की दो रक्अत सुन्नत
मैं नीयत करता हूं दो रक्अत नमाज़ सुन्नत जुहर, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
जुहर नमाज़ की दो रक्अत नफ्ल
मैं नीयत करता हूं दो रक्अत नमाज़ नफ्ल जुहर, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
अस्र नमाज़ की चार रक्अत सुन्नत
मैं नीयत करता हूं, चार रक्अत नमाज़ सुन्नत अस्र, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
अस्र नमाज़ की चार रक्अत फ़र्ज
मैं नीयत करता हूं, चार रक्अत नमाज़ फ़र्ज़ अस्र, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
इशा नमाज़ की चार रक्अत सुन्नत
मैं नीयत करता हूं, चार रक्अत नमाज़ सुन्नत इशा, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
इशा नमाज़ की चार रक्अत फ़र्ज
मैं नीयत करता हूं, चार रक्अत नमाज़ फ़र्ज़ इशा, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
बाद इशा नमाज़ की दो रक्अत सुन्नत
मैं नीयत करता हूं, दो रक्अत नमाज़ सुन्नत इशा, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
मगरिब नमाज़ की दो रक्अत सुन्नत
मैं नीयत करता हूं, दो रक्अत नमाज़ सुन्नत मगरिब, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
मगरिब नमाज़ की तीन रक्अत फ़र्ज
मैं नीयत करता हूं, तीन रक्अत नमाज़ फ़र्ज़ मगरिब, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
वित्र नमाज़ की तीन रक्अत वाजिब
मैं नीयत करता हूं, तीन रक्अत नमाज़ वाजिब वित्र, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
जुमा से पहले की चार रक्अत सुन्नत
मैं नीयत करता हूं, चार रक्अत नमाज़ सुन्नत जुमा से पहले, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
जुमा की दो रक्अत फ़र्ज
मैं नीयत करता हूं, दो रक्अत नमाज़ फ़र्ज जुमा की, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
बाद जुमा चार रक्अत सुन्नत
मैं नीयत करता हूं, चार रक्अत नमाज़ सुन्नत बाद जुमा, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़
इमाम के पीछे नियत का तरीका
अगर नमाज़ जमाअत से पढ़ रहे हैं, तो आप वास्ते अल्लाह के, के बाद, इस इमाम के पीछे लगा लें।
फ़ज्र
मैं नीयत करता हूं दो रकअत नमाज़ फ़र्ज़ फ़ज्र, पीछे इस इमाम के, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़ |
जुहर
मैं नीयत करता हूं चार रक्अत नमाज़ फ़र्ज़ जुहर, पीछे इस इमाम के, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़ |
अस्र
मैं नीयत करता हूं चार रक्अत नमाज़ फ़र्ज़ अस्र, पीछे इस इमाम के, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़ ।
मगरिब
मैं नीयत करता हूं तीन रक्अत नमाज़ फ़र्ज़ मगरिब, पीछे इस इमाम के, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़ ।
इशा
मैं नीयत करता हूं चार रक्अत नमाज़ फ़र्ज़ इशा, पीछे इस इमाम के, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़ |
वाजिब नमाज़ के लिए नीयत
मैं नीयत करता हूं तीन रक्त नमाज़ वित्र वाजिब, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़।
२४ घंटे में सिर्फ तीन रक्त वित्र वाजिब हैं, जो इशा के बाद पढ़े जाते हैं।
अगर आप जमात से नमाज़ पढ़ रहे है, तो आप के मन में यह भी होना चाहिए की मैं इस इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ रहा हूं।
ईद उल-फ़ित्र की नमाज़ की नीयत
मैं नीयत करता हूं, दो रक्अत नमाज़ वाजिब ईद उल-फ़ित्र, जाईद छः तकबीरो क साथ, इमाम के पीछे, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़।
ईद उल जुहा की नमाज़ की नीयत
मैं नीयत करता हूं, दो रक्अत नमाज़ वाजिब ईद उल जुहा, जाईद छः तकबीरो क साथ, इस इमाम के पीछे, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़।
जनाजे की नीयत
मैं अल्लाह के वास्ते इस जनाजे की नमाज, इस मय्यत की दुआ ए मगफिरत के लिए, इस इमाम के पीछे पढ़ता हूँ।
तरावीह की नमाज़ की नीयत
मैं नीयत करता हूं, दो रक्अत नमाज़ सुन्नत तरावीह, इमाम के पीछे, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़।
मस्जिद में दाखिल होने की 2 रकअत सुन्नत
मैं नीयत करता हूं, दो रक्अत नमाज़ सुन्नत, मस्जिद में दाखिल होने की, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़।
नोट: सुन्नत नमाज़ एक वैकल्पिक नमाज़ है जो मुस्लिमों द्वारा दिन के किसी भी समय पढ़ी जा सकती है। इन नमाज़ो को पांच दैनिक (अनिवार्य) नमाज़ो के अलावा पढ़ा जाता है। सुन्नत नमाज अकेले पढ़ी जाती है।
कुछ चीजें ऐसी हैं जिनको वुजू, गुस्ल और नमाज़ मे नहीं करना चाहिए, ये मकरूह कहलाती हैं।
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