नात: अल्लाह ही अल्लाह किया करो
अल्लाह ही अल्लाह किया करो नात: अल्लाह ही अल्लाह किया करो, दुख न किसी को दिया करो, जो दुनिया का मालिक है, नाम उसी का लिया करो, अल्लाह ही अल्लाह, अल्लाह …
नात ए शरीफ उर्दू और फारसी में इस्लामी साहित्य में एक पद्य रूप है, जिसमें पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब की तारीफ लिखी जाती है। इस पद्य रूप को बडे अदब से गाया जाता है। नात ए शरीफ़ लिखने वाले शायर को नात गो शायर कहते हैं और गाने वाले को नात ख्वां कहते हैं।
नात ख्वानी का रिवाज भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश में है। पश्तो, बंगाली, उर्दू और पंजाबी भाषा में नात ख्वानी प्रसिद्ध है। नात ख्वां तुर्की, फ़ारसी, अरबी, उर्दू, बंगाली, पंजाबी, अंग्रेज़ी, कश्मीरी और सिंधी भाशाओं में आम है।
अल्लाह ही अल्लाह किया करो नात: अल्लाह ही अल्लाह किया करो, दुख न किसी को दिया करो, जो दुनिया का मालिक है, नाम उसी का लिया करो, अल्लाह ही अल्लाह, अल्लाह …
पैग़ाम सबा लाइ है गुलज़ारे नबी से नात (Paigham Saba Laai Hai Gulzare Nabi Se Naat) : पैग़ाम सबा लाइ है गुलज़ारे नबी से, आया है बुलावा मुझे दरबारे नबी से, …
मौला या स़ल्ली व सल्लिम दाइमन अबदन (क़सीदा बुर्दा शरीफ) : मौला या स़ल्ली व सल्लिम दाइमन अबदन, अ़ला ह़बीबिक ख़ैरिल-ख़ल्क़ि कुल्लिहिमि
शाह-ए-मदीना! शाह-ए-मदीना! / Shah-e-Madina! Shah-e-Madina! दो-आलम के वाली!
सारे नबी हैं तेरे दर के सवाली