तर्जुमा: ऐ अल्लाह! ऐ परवरदिगार, इस पुकार के, जो मुकम्मल है और कायम होने वाली नमाज़ के हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को वसीला और फ़ज़ीलत और बुलंद दर्जा अता फरमा और उनको खड़ा कर मुक़ामे महमूद में, जिसका तू ने उनसे वायदा किया है और हम को क़यामत के दिन उनकी शफ़ाअत नसीब कर। बेशक तू वायदा-खिलाफ़ी नहीं करता।