अब ‘अल्लाह अक्बर’ कह कर रुकूअ कीजिए, यानी झुक जाइये हाथ की उंगलियों को मिला कर दोनों गुठनों पर मजबूती से रख दीजिये, दोनों बाह बग़ल से खूब मिला कर रखिये और दोनों पैर के टखनों को भी मिला दी जाए, रुकूअ में नज़र अपने क़दमो पर रखिए।
और कम-से-कम तीन बार कहिए
सुब्हा न रब्बियल अज़ीम०
तर्जुमा:पाकी बयान करता हूं मैं अपने परवरदिगार बुजुर्ग की।
तस्मीअ
समिअल्लाहु लिमन हमिदह
तर्जुमा:‘अल्लाह ने उस बंदे की (बात) सुन ली, जिसने उसकी तारीफ़ की।’