नियत कुर्बानी

नियत कुर्बानी

niyat qurbani

इन्नी वज्जहतू वजहि-य लिल्लज़ी फ-त-रस्समावाति वल अर्द्ध ह नीफवं व मा अना मिनल मुशरिकीन० इन्न सलाती व नुसुकी व म ह्या-य व म-माती लिल्लाही रब्बिल आलमीन० ला शरी-क लहू व बिज़ालि-क उमिर्तु व अना मिनल मुस्लिमीन) अल्लहुम्म मिन-क व ल-क बिस्मिललाहि अल्लाहु अकबर० 

पढ़ कर ज़िबह करे, ज़िबह के बाद अगर अपनी तरफ से कुर्बानी की है तो इस तरह करें।

अल्लहुम्मा तक़ब्बलत-हु मिन्नी कमा तक़ब्बल-त मिन खलीलि-क इब्राही-म व हबीबि-क मुहम्मदिन अलैहीस्स्लातु वसल्लम०

(अगर किसी दुसरे के नाम से करे तो लफ्ज़ मिन्नी की जगह मिन फलाँ बिन फलाँ कहे।)

ज़िबह के बाद ये दुआ मांगे

jibah ke baad ye dua

(मसाइल कुर्बानी व अक़ीक़ा .., तातार ख़ानीत जकारिया “../12)

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