बस्ती नज़र आने पर

बस्ती नज़र आने पर

जब वह बस्ती नज़र आए, जिसमें जाना है तो यह पढ़े 
jab basti nazar aaye

 अल्लाहुम-म- रब्बस्समावातिस्सब इ वमा अज्लल वर ब्बल अर्जीनस्सब्इ व मा अक़्लल-न व रब्बश्शयातीनि व मा अज़्लल-न व रब्बर्रियाहि व मा ज़रै-न फ़ इन्ना नस् अलु-क खै-र हाज़िहिल क़र्य ति व खै-र अहलिहा व न ऊज़ बि-क मिन शर्रीहा व शर्री अहलिहा व शर्री मा फ़ीहा०

तर्जुमा- ऐ अल्लाह! जो सातों आसमानों और उन सब चीज़ों का रब है जो आसमानों के नीचे हैं और जो सातों ज़मीनों का और उन सब चीज़ों का रब है, जो उनके ऊपर हैं जो शैतानों का और उन सब का रब, जिनको शैतानों ने गुमराह किया है और जो हवाओं का और उन चीज़ों का रब है, जिन्हें हवाओं ने उड़ाया है, सो हम तुझ से उस आबादी की और उसके बाशिंदों की खैर का सवाल करते हैं और उस के शर से और उसकी आबादी के शर से और उन चीज़ों के शर से तेरी पनाह चाहते हैं, जो उस के अन्दर है। -हिस्न (इब्ने हिब्बान)

बस्ती में दाखिल होने पर

किसी शहर या बस्ती में दाखिल होने लगे, तो तीन बार पढ़े

basti me dakhil hone per

अल्लाहुम-म बारिक लना फ़ीहा।

तर्जुमा- ऐ अल्लाह! तू हमें इसमें बरकत दे। -हिस्न

फिर यह पढ़े

basti me dakhil hone per ya ye

अल्लाहुम-मर्ज़फ्ना जना हा व हब्बिना इला अहलि हा व हब्बिब सालिही अहलिहा इलैनाo 

तर्जुमा- ऐ अल्लाह! तू हमें इसके मेवे नसीब फ़रमा और यहां के बाशिंदों के दिलों में हमारी मुहब्बत और यहां के नेक लोगों की मुहब्बत हमारे दिलों में पैदा फ़रमा। -हिस्न (तबरानी)

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