

ला इला-ह इल्लल्लाहु वल्लाहु अक्बर० ला इला-ह इल्लल्लाहु वहदहू ला इला ह इल्लल्लाहु वहदहू ला शरी-क लहू, ला इला ह इल्लल्लाहु लहुल मुल्कु व लहुल हम्दु ला इलाह इल्लल्लाहु व ला हौ-ल व ला कू-व-त इल्ला बिल्लाह०
तर्जुमा- अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और अल्लाह सबसे बड़ा है। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, वह तंहा है। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, वह तंहा है, उसका कोई शरीक नहीं। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। उसी के लिए मुल्क है और उसी के लिए हम्द है। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और गुनाहों से बचाने और नेकियों पर लगाने की ताक़त अल्लाह ही को है।
अगर इस मर्ज़ में मौत उस को आ गयी तो दोज़ख़ की आग उसे न जलाएगी।
किसी से पूछना करने पर

इन-न लिल्लाहि मा अ-ख-ज़ व लहू मा अअता व कुल्लुन इन-द हू बि अ-ज-लिन मुसम्मन फ़ल तस्बिर वल् तहतसिब०
तर्जुमा- बेशक जो अल्लाह ने ले लिया, वह उसी का है और जो उस ने दे दिया, वह उसी का है और हर एक का उस के पास मुक़र्रर वक़्त है (जो बे-सब्री या किसी तद्बीर से बदल नहीं सकता,) इस लिए सब्र करना चाहिए और सवाब की उम्मीद रखनी चाहिए। -बुख़ारी व मुस्लिम
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