रात को पढ़ने की चीजें
1. हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाह अलैहि व सल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि जो शख़्स हर रात में सूरः वाक़िया (पारा 27) पढ़ लिया करे, उसे कभी फ़ाक़ा न होगा। -बैहक़ी
2. हज़रत उस्मान रज़ियल्लाहु तआला अन्ह फ़रमाते हैं कि जो शख़्स आले इम्रान की आयतें इन-न फ़ी ख़ल्क़िस्समावाति वल अर्ज़ि, से आख़िर सूरः तक किसी रात को पढ़ ले तो उसे रात भर नमाज़ पढ़ने का सवाब मिलेगा। -मिश्कात
3. हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु तआला अन्ह फ़रमाते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रात को जब तक सूरः अलिफ़-लाम-मीम सज्दा, जो 21 वें पारे में है और सूरः तबारकल्लज़ी बियदि-हिल मुल्कु (पारा 29) न पढ़ लेते थे, उस वक़्त तक न सोते थे। -तिर्मिज़ी वगैरह
4. और इसी सूरः तबारकल्लज़ी के बारे में आपने फ़रमाया कि एक शख्स की सिफ़ारिश करके उसने बख़्शवा दिया। -मिश्कात
5. हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद रज़ियल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि सूरः बक़रः की आखिरी दो आयतें (आ-म-नर्रसल से सूरः के ख़त्म तक) जो शख्स किसी रात को पढ़ लेगा, तो ये दोनों आयतें उसके लिए काफ़ी होंगी, यानी वह हर बुराई और ना-पसंदीदा बात से बचा रहेगा। -बुख़ारी व मुस्लिम
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