सफ़र को चलते वक़्त​

सफ़र को चलते वक़्त

जब सफ़र को रवाना होने लगे, तो यह पढ़ें
safar ko chalte waqt dua
अल्लाहुम-म इन्ना नस् अलु-क फ़ी स – फ़- रिना
हाज़ल बिर-र वत्तक़्वा व मिनल अ म लि मा तर्ज़ा
अल्लाहुम-म हव्विन अलैना स-फ़-र-ना हाज़ा वत्वि – ल-ना बुअ द हू अल्ला हुम-म अन्तस्साहिबु फ़िस्स-फ़-रि वल ख़ली-फ़तु फ़िल अहिल
अल्लाहुम-म इन्नी अऊज़ुबि क मिंव-वअ साइ
स्स-फ़ रि व का ब तिल मन्ज़रि व सूइल मुन्क़-ल-बि
फ़िल मालि वल अहलि व अऊज़ुबि-क मिनल हौरि बअ दल कौरि व दअ वतिल मज़्लूमिo

तर्जुमा- ऐ अल्लाह! हम तुझसे इस सफ़र में नेकी और परहेज़गारी का सवाल करते हैं और उन आमाल का सवाल करते हैं, जिनसे आप राज़ी हों। ऐ अल्लाह! हमारे इस सफ़र को हम पर आसान फ़रमा दे और इस का रास्ता जल्दी-जल्दी तय करा दे। ऐ अल्लाह! तू सफ़र में हमारा साथी है और हमारे पीछे घर-बार का कारसाज है। ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह चाहता हूं सफ़र की मशक़्क़त और घर-बार में बुरी वापसी से और बुरी हालत के देखने से और बनने के बाद बिगड़ने से और मज़लूम की बद-दुआ से।

फ़ायदा- सफ़र को रवाना होने से पहले अपने घर में दो रक्अत नमाज़ नफ़्ल पढ़ना भी मुस्तहब है। -किताबुल अज़्कार (नबवी)

फ़ायदा- जब बुलंदी पर चढ़े तो ‘अल्लाहु अक्बर’ पढ़े और जब बुलंदी से नीचे उतरे तो ‘सुब्हानल्लाह’ कहे और जब किसी पानी बहने के नशेब में गुज़रे तो ‘ला इला-ह इल्ल-ल्लाहु वल्लाहु अक्बर’ पढ़े। अगर सवारी का पैर फिसल जाए या ऐक्सीडेंट हो जाए तो ‘बिस्मिल्लाह’ कहे। -हिस्न

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