सलाम भेजने पर

सलाम भेजने पर

अगर कोई मुसलमान सलाम भेजे तो जवाब में यों कहे
agar koi musalman sawal bheje

व अलैहिस्सलातु व रहमतुल्लाहि व ब-र-कातुहू।

तर्जुमा- उस पर सलामती हो और अल्लाह की रहमत हो और उसकी बरकतें नाज़िल हों। -हिस्न 

या सलाम लाने वाले को ख़िताब कर के यों कहे
salam wale ko khitab

व अलै-क व अलैहिस्सलामु० 

तर्जुमा- तुम पर और उस पर सलामती हो। -हिस्न

फ़ायदा- सलाम के जवाब के साथ सलाम करने वाले से मुसाफ़ा भी करे। 

रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि जो दो मुसलमान आपस में मुलाक़ात करके मुसाफ़ा करते हैं तो अलग होने से पहले उनके गुनाह (छोटे-छोटे) माफ़ हो जाते हैं। -तिर्मिज़ी

अबुदाऊद शरीफ़ की रिवायत में यों है कि जब दो मुसलमान मुलाक़ात के वक़्त मुसाफ़ा करें और अल्लाह की हम्द बयान करें और मग़फ़िरत की दुआ करें तो उन की मग़फ़िरत कर दी जाती है। -मिश्कात

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