हज का तल्बिया
लब्बैक अल्लाहुम-म लब्बैक-लब्बैक ला शरी-क लका लब्बैक. इन्नल हम-दवन्निअ-म-त ल-कवल-मुल-क ला शरी-क लक०
तर्जुमा- मैं हाज़िर हूं ऐ अल्लाह! मैं हाज़िर हूं, तेरा कोई शरीक नहीं है, मैं हाज़िर हूं। बेशक हम्द और नेमत तेरे ही लिए है और मुल्क भी तेरा ही है। तेरा कोई शरीक नहीं। -मिश्कात
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि जो भी मुसलमान तलबिया पढ़ता है, तो जहां तक पूरब व पश्चिम है, उसके दाएं-बाएं हर पत्थर और हर पेड़ और मिट्टी का ढेला, ये सभी तलबिया पढ़ते हैं। -तिर्मिज़ी
फ़ायदा- तल्बिया से फ़ारिश होकर अल्लाह तआला से उसकी ख़ुशी और जन्नत का सवाल करे और दोज़ख़ से निजात पाने की दुआ मांगे। -मिश्कात
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