हर मर्ज़ को दूर करने के लिए​

हर मर्ज़ को दूर करने के लिए

हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा का बयान है कि हम में से जब किसी को कोई तकलीफ़ होती थी, तो हुजूरे अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तक्लीफ़ की जगह अपना हाथ फेरते हुए यह पढ़ते थे-
har marz ko door karne ki dua

अज़हिबिल बअ-स रब्बन्नासि वश्फ़ि अन्त-श्शाफ़ी ला शिफ़ा-अ इल्ला शिफ़ाउ-क शिफ़ा अल्ला युग़ादिरु यकमन०

तर्जुमा- ऐ लोगों के रब! तक्लीफ़ को दूर फ़रमा और शिफ़ा दे, तू ही शिफ़ा देने वाला है। तेरी शिफ़ा के अलावा कोई शिफ़ा नहीं है, ऐसी शिफ़ा दे जो ज़रा मर्ज़ न छोड़े। -मिश्कात

हजरत आइशा रज़ियल्लाह तआला अन्हा का बयान है कि नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब बीमार होते थे, तो मुअव्वज़ात पढ़ कर अपने हाथ पर दम फ़रमाते और फिर (आगे-पीछे) सारे बदन पर हाथ फेरते थे और जिस मर्ज़ में आपकी वफ़ात हुई है, उस में ‘मुअव्वज़ात’ पढ़ कर मैं आपके हाथ में दम करती थी, फिर आपके इस हाथ को आपके (तमाम बदन पर) फेरती थी। -बुख़ारी व मुस्लिम

आंहज़रत सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के घर में जब कोई बीमार होता था तो आप उस पर मुअव्वज़ात पढ़ कर दम फ़रमाते थे मुअव्वज़ात ये हैं -मिश्कात

  1. कुल या ऐयुहुल काफ़िरून
  2. कुल हुवल्लाह अहद
  3. कुल अऊजु बिरब्बिल फ़लक़
  4. कुल अऊजु बिरब्बिन्नास

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