जनाजे को कंधा देने का तरीका​

जनाजे को कंधा देना इबादत है। सुन्नत यह है कि एक के बाद एक चारों पायों को कन्धा दे ओर हर बार दस दस क़दम चले। पहले सीधे सिरहाने, फ़िर सीधे पाव, फ़िर उलटे सिरहाने, फ़िर उलटे पाव की तरफ़ कन्धा दे।

बच्चे का जनाज़ा उठाने का तरीका

छोटे बच्चे के जनाज़े को एक शख्स हाथ पर उठा कर ले जा सकता है। और इसके बाद लोग हाथों हाथ लेते रहें। औरतों या बच्चियो का जनाज़े के साथ जाना मना है।

मुर्दा बच्चे का नियम

मुस्लिम बच्चा जिन्दा पैदा हुआ था तो उस को गुस्ल व कफ़न देंगे। और उस की नमाज पढ़ेंगे। नही तो उसे वैसे ही नहला कर एक कपड़े में लपेट कर दफ़्न कर देगे। और इस की नमाज भी ना पढ़ेंगे।

जूते पर खड़े हो कर जनाजा पढ़ना

जूते पहन कर अगर जनाज़ा पढ़ें तो जूते और ज़मीन दोनों का पाक होना ज़रूरी है। और जूता उतार कर उस पर खड़े हो कर पढ़ें तो जूते के तले और ज़मीन का पाक होना ज़रूरी नही है। 

पागल या खुदकुशी वाले का जनाज़ा

जो पैदाइशी पागल हो या बालिग होने से पहले पागल हो गया हो तो उस की नमाजे जनाजा में नाबालिग की दुआ पढ़ेंगे। जिस ने खुदकुशी की उस की नमाजे जनाज़ा पढ़ी जाएगी। नोट: नमाज़े जनाज़ा के बाद और कोई दुआ नहीं होती। नमाज़े जनाज़ा खुद दुआ है।

 

गाइबाना नमाज़े जनाज़ा नहीं हो सकती

मय्यित का सामने होना जरूरी है। गाइबाना नमाज़े जनाज़ा नहीं हो सकती है। इमाम मय्यित के सीने के सामने खड़ा हो। एक से ज्यादा मय्यितो की नमाज़े जनाज़ा कई जनाजे एक साथ भी पढ़े जा सकते है। सब को आगे पीछे रखे यानी सब का सीना इमाम के सामने हो। यानी एक के पाव की सीध मे दूसरे का सिरहाना और दूसरे के पाव की सीध मे तीसरे का सिरहाना हो। 

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नमाज़ का तरीक़ा
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