जब सफ़र का इरादा करें
अल्लाहुम-म बि-क असूलु व बि-क अहूलु व बि-क असीरू०
तर्जुमा- ऐ अल्लाह! मैं तेरी ही मदद से (दुश्मनों पर) हमला करता हूं और तेरी ही मदद से उनको दूर करने की तबीर करता हूं और तेरी ही मदद से चलता हूं। -हिस्ने हसीन
सुब्हानल्लज़ी सख्ख-र लना हाज़ा व मा कुन्ना लना लहू मुक्रिनीन व इन्ना इला रब्बिना ल-मुन्क़लिबून0
तर्जुमा- अल्लाह पाक है, जिसने उसको हमारे क़ब्ज़े में दे दिया और हम उसकी कुदरत के बगैर इसे क़ब्ज़े में करने वाले न थे और बिला शुब्हा हमको अपने रब की तरफ़ जाना है। -सूरः जुरब्रुफ़, पारा 25
सुब्हा-न-क इन्नी ज़लम्तु नफ़्सी फ़ग्फ़िर ली फ़ इन-न हू ला यग्फ़िरुज्जुनू-ब इल्ला अन-तo
तर्जुमा- ऐ ख़ुदा! तू पाक है। बेशक मैंने अपने नफ़्स पर जुल्म किया तो मुझे बख़्श दे, क्योंकि सिर्फ़ तू ही गुनाह बख़्शता है।
इसको पढ़कर मुस्कराना भी मुस्तहब है।
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