पाख़ाने से पहले और बाद की दुआ

पाख़ाने से पहले और बाद की दुआ

जब पाख़ाने जाए तो दाख़िल होने से पहले ‘बिस्मल्लाह‘ कडे (हदीस शरीफ में है कि शैतान की आंखों और इंसान की शर्मगाहों के दर्मियान ‘बिस्मिल्लाह’ आड़ बन जाती है) और यह दुआ पढ़े-
pakhane se pahle ki dua

अल्लाहु म-म इन्नी अऊजु बि-क मिनल ख़बुसि वल ख़बाइसि। 

तर्जुमा- ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह चाहता हूं ख़बीस जिन्नों से मर्द हों या औरत। 

जब पाख़ाने से निकले तो ‘गुफ़्रा-न-क’ कहे और यह दुआ पढ़े
pakhane ke baad ki dua

अल हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी अज़्ह-ब अन्निल अज़ा व आ फ़ानी।

तर्जुमा- सब तारीफें अल्लाह ही के लिए हैं, जिसने मुझसे ईज़ा देने वाली चीज़ दूर की और मुझे चैन किया। -मिश्कात

‘गुफ़रा-न-क’ यानी ऐ अल्लाह ! मैं तुझ से बख्शीश का सवाल करता हूं।

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