सुबह और शाम पढ़ने की कुछ और चीजें

सुबह और शाम पढ़ने की कुछ और चीजें

1. हज़रत उस्मान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्ल-ल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है, जो बन्दा हर सुबह व शाम को तीन बार ये कलिमे

subah shaam padhne ki cheeze

बिस्मिल्लाहिल्लज़ी ला यजुर्रु मअस्मिही शैउन फ़िल अर्ज़ि व ला फ़िस्समाइ वहुवस्स-मीउल अलीमo

तर्जुमा- अल्लाह के नाम से हमने सुबह की (या शाम की,) जिसके नाम के साथ आसमान या ज़मीन में कोई चीज़ नुक्सान नहीं दे सकती और वह सुनने और जानने वाला है। 

पढ़ लिया करे तो उसे कोई चीज़ नुक्सान न पहुंचाएगी। -तिर्मिज़ी 

अबूदाऊद शरीफ़ की रिवायत में है कि सुबह को पढ़ लेने से शाम तक और शाम को पढ़ लेने से सुबह तक  उसे कोई अचानक आ जाने वाली बला न पहुंचेगी। -मिशकात

2. हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि जो शख़्स सुबह को (सूरः रूम, पारा 21 की) ये तीन आयतें-

surah room

फ़ सुब्हानल्लाहि ही-न तुम्सू-न व ही-न तुस्बिहू न व लहुल हम्दु फ़िस्समावाति वल अर्ज़ि व अशीयंव-वही-न तुजही रून युख्रिजुल हय-य मिनल मय्यिति व युखिजुल मय्यि-त मिनल हय्यि व युह्यिल अर-ज़ बअ द मौ ति हा व कज़ालि-क तुख़-र जून0 

तर्जुमा- सो तुम अल्लाह की पाकी बयान करो शाम के वक़्त और सुबह के वक़्त और तमाम आसमानों और ज़मीन में उसी के लिए हम्द है और ज़वाल के बाद भी और जहर के वक़्त भी, वह जानदार को बे-जान से और बे-जान को जानदार से बाहर लाता है और ज़मीन को उसके मुर्दा होने के बाद जिंदा करता है और इसी तरह तुम निकाले जाओगे।

पढ़ ले, तो उस दिन जो (वज़ीफ़ा वगैरह) छूट जाएगा, उसका सवाब पा लेगा। जो शख़्स शाम को ये आयतें पढ़ ले, तो उस रात को, जो वज़ीफ़ा वगैरह छूट जाएगा, उसका सवाब पायेगा। -अबू दाऊद

3. हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि जो शख्स सुबह को सूरः मोमिन (पारा 24) की शुरू की आयतें और आयतुलकुर्सी पढ़ ले, तो उनकी वजह से शाम तक (आफ़तों और ना-पसंदीदा बातों से) बचा रहेगा और जो इन को शाम के वक़्त पढ़े तो सुबह तक बचा रहेगा।

सूरः मोमिन की शुरू की आयतें ये हैं

surah momin

हा मीम तंजीलुल किताबि मिनल्लाहिल अज़ीज़िल अलीम ग़ाफ़िरिज़्ज़म्बि व क़ाबिलि त्तौ बि शदीदिल इक़ाबि जित्तौलि ला इला-ह इल्ला हु-व इलैहिल मसीर०

तर्जुमा- हा मीम, यह किताब उतारी गयी है अल्लाह की तरफ़ से जो ज़बर्दस्त है और हर चीज़ का जानने वाला है, गुनाहों का बख्शने वाला और तौबा का कुबूल करने वाला है, सख़्त सज़ा देने वाला है, कुदरत वाला है, उसके सिवा कोई माबूद नहीं, और उसी की तरफ़ जाना है।

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