मौत हो जाने पर
मौत हो जाने पर: जब आदमी मरने लगे तो उसको चित लिटाकर उसके पैर किल्ले की तरफ कर दो और सर ऊँचा कर दो और उसके पास बैठकर ज़ोर-जोर से कलिमा तैयबा वगैरह पढ़ो…
मौत हो जाने पर: जब आदमी मरने लगे तो उसको चित लिटाकर उसके पैर किल्ले की तरफ कर दो और सर ऊँचा कर दो और उसके पास बैठकर ज़ोर-जोर से कलिमा तैयबा वगैरह पढ़ो…
नियत कुर्बानी: इन्नी वज्जहतू वजहि-य लिल्लज़ी फ-त-रस्समावाति वल अर्द्ध ह नीफवं व मा अना मिनल मुशरिकीन० इन्न सलाती व नुसुकी व म ह्या-य व म-माती लिल्लाही…
दुआए अक़िक़ा : अल्लहुम्मा हाज़िही अकीक़तु बिन्ती द-मुहा बी-द मिहा व लहमुहा बि-लह मिहा व अज़मुहा बि-अज़ मिहा व जिल्दुहा बि-जिल्दिही व शअरुहा बि-शअरिहा…
ईमान: ईमान दिल से मानने और ज़बान से इकरार करने को ईमान कहते हैं। 1. ईमाने मुज्मल: आमन्तु बिल्लाहि कमा हु-व बिअस्मा-इही व सिफ़ातिही व क़बिल्तु जमीअ…
रोज़ा रखने की नीयत: ‘व बि सौमि गदिन न-वय-तु मिन शहरि र-म-ज़ा-न’
तर्जुमा- मैंने रमज़ान के कल के रोज़े की नीयत की।
रोज़ा खोलने की दुआ:
नमाज़ में की जाने वाली कुछ ग़लतियाँ: नमाज़ के तरीके का सही इल्म न होने के कारण हम से नमाज़ में विभिन्न प्रकार की ग़लतियाँ होती रहती हैं। जिनमें से कुछ…
शादी की रस्में: निकाह में जो चीजें फर्ज हैं, वे सिर्फ दो हैं- कम से कम दो गवाहों की मौजूदगी और ईजाब व कुबूल और निकाह का मस्तून तरीका यह है कि आम मज्मे में…
ज़कात: जिस तरह नमाज़, रोज़ा औरतों पर फर्ज है, उसी तरह ज़कात भी फ़र्ज़ है। बहुत-सी औरतें ज़कात फर्ज होने के बावजूद, ज़कात अदा नहीं करतीं और गुनाहगार होती हैं।
छह कलिमा: हर मुसलमान को छ: कलमे जरुर याद होने चाहिए। पहला कलमा तय्यब: ला इला-ह इल्लल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह तर्जुमाः अल्लाह के सिवा कोई इबादत के…
अज़ान की बाद की दुआ: अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़िहिद दअ-वातिताम्मति वस्सलातिल काइमति आति मुहम्म-द-निलवसी लता वल फ़ज़ी-ल-त वद्द-र-ज तर्रफ़ी-अ-त वब्-असहु …