दरूद ए ताज हिंदी में​

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम

अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान रहम वाला है

अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्यिदिना व मौलाना मोहम्मदीन, साहिबित्त ताज़े वल मेअराजे वल बुर्राके वल अलम

या ईलाही हमारे आक़ा व मौला मोहम्मद ﷺ पर रहमत नाज़िल फ़रमा । जो साहिबे ताज़ और मेराज़ और बुर्राक वाले और झंडे वाले है

दाफेईल बला वल वबा वल कहति वल मरज़ी वल अलम

जिनके वसीले से बला वबा और क़हत (सुखा) मर्ज़ और दुख दूर होता है

इस्मोहु मक़तूबुम मरफ़ूउम मशफ़ुउम मनकूसुन फ़िल लव्ही वल क़लम

आप ﷺ का नाम नामी लिखा गया, बुलंद किया गया, क़बूले शफ़ाअत किया गया,

और लोह व क़लम में गुदा हुवा है

सय्यिदिल अरबी वल अज़म

आप ﷺ अरब व अज़म के सरदार है

जिस्मोहु मुक़द्दसु मुअत्तरु मुतहहरु मुनव्वरुन फ़िल बैति वल हरम

आप ﷺ का जिस्म निहायत मुक़द्दस ख़ुशबूदार पाकीज़ा और खाना क़ाबा व हरम पाक़ में मुनव्वर है

शमसिद्दुहा बदरिददुजा सदरिलउला नूरिलहुदा कहफ़िलवरा मिस्बाहिज़ ज़ुलम

आप ﷺ चास्तगाह के आफ़ताब, अँधेरी रात के माहताब, बुलन्दियों के सदर नसीन, राहे हिदायत के नूर, मख़लूक़ात के जाहपनाह, अँधेरो के चराग़

जमीलिश्शियम, शफ़ीइल उमम, साहिबिल जूदी वल करम

नैक इतवार के मालिक़, उम्मतियों के बख़्शवाने वाले, बख़्शिश व करम से मोसूफ़ है

वल्लाहु आसिमुहू  जिब्रीलु खादिमुहू वल बुराको मर्कबुहू वल मराजो सफ़रुहू व सिदरतुल मुंतहा मकामोहू

अल्लाह तआला आप ﷺ का निगहबान, जिब्रील आप ﷺ के ख़िदमत गुज़ार, बुर्राक़ आप ﷺ की सवारी, और मेराज़ आप ﷺ का सफर, और सिदरतुल मुंतहा आप ﷺ का मक़ाम

व क़ाबा क़व्सैनी मतलूबुहू वल मतलूबु मक़सूदुहू वल मक़सूदु मोजूदुहू

और (क़रीबे ख़ुदावन्दी में) क़ाबा कौसेन का मरतबा, आप ﷺ मतलूब है, और मतलूब ही आप ﷺ का मक़सूद है, और मक़सूद आप ﷺ को हासिल है

सय्यिदिल मुरसलीन ख़ातमिन नबीय्यीन शफ़ील मुज़निबीन अनिसिल ग़रीबी

आप ﷺ रसूलों के सरदार है, नाबियों में सबसे आखिर, गुनाहगारों को बख़्शवाने वाले, मुसाफिरों के ग़मख़्वार

रहमतिल लिल आलमीन राहतिल आशिक़ीन मुरादिल मुश्ताक़ीन शमसिल आरिफ़ीन

दुनियाँ जहान के लिये रहमत, आशिक़ों की राहत, मुश्ताक़ों की मुराद, ख़ुदा बशनासो के आफ़ताब

सिराजिस सालिकीन मिस्बाहिल मुक़र्रबीन  मोहिब्बिल फुक़राए वल गुरबाए वल मसाक़ीन

राहे ख़ुदा पर चलने वालों के चराग़, मुक़रीबो के रहनुमा, मोहताजों, गरिबों और मिस्कीनों से मोहब्बत रखने वाले

सय्यिदि क़लैनि नबिय्यिल हरमैन इमामिल किब्लतैन

जिन्नात और इंसान के सरदार, हरम शरीफ़ के नबी, दोनों कबीलों (बैतूल मुक़द्दस व क़ाबा) के पेशवा

सीतिना फिद्दारैन साहिबे क़ाबा कौसेन

और दुनियाँ व आख़िरत में हमारा वसीला है, वह मरतबा जो क़ाबा कौसेन पर फ़ाइज़ है

महबूबे रब्बिल मशरीकैन व रब्बिल मग़रिबैन

दो मशरीक़ो और दो मग़रीबों के रब के मेहबूब है

जद्दील हसनी वल हुसैन मौलाना व मौलस कलैन

हज़रत इमाम हसन व हुसैन रदिअल्लाहु अन्हु के जद्दे अमज़द, और तमाम रूह के आक़ा है ।

अबिल क़ासिमि मोहम्म्दिनि अब्दिल्लाह नूरिममिन नूरिल्लाह

अबुल क़ासिम मोहम्मद ﷺ बिन अब्दुल्लाह रदिअल्लाहु अन्हु, जो अल्लाह तआला के नूर में से एक नूर है

या आय्योहल मुश्ताकून बिनुरी जमालिही

ऐसे नूरे मोहम्मद ﷺ के मुश्ताक़ों..!

सल्लु अलैही व आलिही व अस्हाबिहि व सल्लीमू तस्लीमा

आप ﷺ पर और आप ﷺ की आल पर और आप ﷺ के अस्हाब पर दुरूद व सलाम भेजो जो भेजने का हक़ है ।निरि

दुरूद-ए-ताज की तिलावत का हुक्म

प्रश्न: क्या आप ‘दुरूद-ए-ताज’ पढ़ सकते हैं?

उत्तर: 1. दुरूद ताज में कुछ शब्द बहुदेववादी हैं, भले ही उनकी व्याख्या करना संभव हो, लेकिन फिर भी वे निश्चित रूप से बहुदेववादी हैं; इसलिए इसे पढ़ने से बचना चाहिए।

मुहद्दिसुल अस्र हजरत मौलाना मुहम्मद यूसुफ बनूरी नूरुल्लाह मरकदा एक सवाल के जवाब में फरमाते हैं:

दुरूद ताज उन आशीर्वादों में से एक नहीं है जो अल्लाह के रसूल (उस पर शांति हो) या उसके साथियों से सुनाई गई थी, और यह स्पष्ट है कि जो शब्द आशीर्वाद के शब्द हैं वे अधिक धन्य और अधिक पुरस्कृत हैं, साथ ही साथ इस वरदान के रूप में।

हालाँकि, अगर किसी का स्वाद और इच्छा इसे पढ़ने की है, तो वह इसे पढ़ सकता है, लेकिन जो वास्तव में अल्लाह तआला के गुण और कार्य हैं, उन्हें अल्लाह के रसूल के लिए इस्तेमाल करना वैध है, अल्लाह उसे आशीर्वाद दे और उसे शांति प्रदान करें। समझने से गुंजाइश हो सकती है, यदि उनके अर्थ वास्तव में नहीं हैं, लेकिन शाब्दिक अर्थ में हैं, तो कोई शिर्क नहीं होगा, फिर भी यह निश्चित रूप से पहले और सावधानी के खिलाफ होगा।

उदाहरण के लिए: “विपत्ति, प्लेग, अकाल और बीमारी को दूर करने वाला” ये अल्लाह के गुण हैं, सबसे उच्च, जो अल्लाह के रसूल के लिए सिद्ध किए गए हैं, भगवान उन्हें आशीर्वाद दे और उन्हें दुरूद-ए-ताज में शांति प्रदान करें। इन शब्दों को पढ़कर भी मत कहो।

मुफ्ती महमूद हसन गंगुही रहिमहुल्लाह इसके बारे में लिखते हैं:

“शुरुआत में, यह ज्ञात नहीं है कि इस दुरूद का आविष्कार किसने किया था। गुणी लोग जो अज्ञानी हैं, वे केवल झूठे और अमान्य हैं। अहादीस में वर्णित दुरूद निश्चित रूप से दुरूद-ए-ताज से बेहतर हैं, और इसमें कुछ शब्द शिर्किया हैं , इसलिए उन्हें खारिज कर दिया जाना चाहिए

फतवा संख्या: 144012200604

दारुल इफ्ता: जामिया उलूम इस्लामिया अल्लामा मुहम्मद यूसुफ बनुरी टाउन

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