पैगंबर आदम अलैहिस्सलाम भाग 2

<– पैगंबर आदम अलैहिस्सलाम भाग 1

पैगंबर आदम (अ.स.) को इल्म अता किया गया

फिर अल्लाह तआला ने आदम (अ.स.) को इल्म अता किया और तमाम चीज़ों के नाम सिखाये।

क़ुरआन पाक में सूरह अलबक़राह, आयत-31 में है कि “और अल्लाह तआला ने आदम (अ.स.) को तमाम नाम सिखाये” अल्लाह त’आला ने आदम (अ.स.) को हर चीज़ का नाम सिखाया। तमाम छोटी और बड़ी चीज़ों के नाम ज़ाती और सिफ़ाती दोनों तरह के नाम सिखाये और तमाम कामों के नाम सिखाये।

फिर अल्लाह त’आला ने उनकी पीठ पर हाथ फेरा तो क़यामत तक जितने भी इंसान पैदा होने वाले हैं सब की रूहे निकल आई अल्लाह ने सब से कहा की “क्या मैं तुम्हारा रब नही?” सब ने कहा की “आप हमारे रब है” सबने सिर्फ़ अक अल्लाह की इबादत का वादा किया इसे वादा-ए-अलस्त कहा जाता है. अभी आलम-ए-अरवाह में सबकी रूहे मौजूद है जो क़यामत तक पैदा होने वाले हैं।

आदम (अ.स.) को पैदा कर के उनसे कहा की जाकर फरिश्तो को सलाम करो उन्होने फरिश्तो से अस-सलामु अलायकुम कहा, यानी “सलामती हो आप सब पर” इसके बदले में फरिश्तो ने कहा वालेकुम अस-सलाम वा रहमतुल्लाही यानी आप पर भी सलामती हो और अल्लाह की रहमत हो, इस पर अल्लाह त’आला ने आदम (अ.स.) से कहा ये तुम्हारी औलाद को एक दूसरे के लिए तोहफा और हदिया है।

अब अल्लाह ने फरिश्तो के सामने दुनिया की कुछ चीज़े पेश की और उनके नाम पूछे फरिश्ते नही जानते थे उन्होने कहा ऐ अल्लाह हमें इल्म नही हमें तो सिर्फ़ उतना ही पता है जितना इल्म आपने हमें दिया है, फिर उन्ही चीज़ों के नाम आदम (अ.स.) से पूछे तो उन्होने सब के नाम बता दिए।

इस पर अल्लाह त’आला ने फरमाया क्या मैने नही कहा था की मुझे ज़मीन और आसमान की हर चीज़ का इल्म है, जो तुम ज़ाहिर करते हो और जो तुम छुपाते हो वो सब मैं जानता हूँ।

पैगंबर आदम (अ.स.) को जन्नत में भेजा गया

अब आदम (अ.स.) को जन्नत का लिबास पहनाया गया और जन्नत में रहने को कहा गया. वो जन्नत में रहने लगे, लेकिन वो खुद को अकेला महसूस कर रहे थे, एक दिन वो सो रहे थे तो अल्लाह त’आला ने उनकी बाईं पसली से हव्वा (अ.स.) को पैदा किया जो की बहुत ज़्यादा खूबसूरत थी, जब वो सो कर उठे तो उन्होने हव्वा को देखा और पूछा तुम कौन हो उन्होने कहा की अल्लाह ने मुझे आपके लिए पैदा किया है ताकि आप मुझसे सुकून हासिल कर सकें।

पैगंबर आदम (अ.स.) और हव्वा (अ.स.)

वो दोनो खुशी से जन्नत में रहने लगे. अल्लाह त’आला ने कहा जहाँ जाना है जाओ जो खाना है खाओ, बस एक दरख़्त (पेड़) का फल खाने के लिए माना किया की अगर खा लोगे तो जालिमो में से हो जाओगे। उन्होंने अल्लाह के हुक्म के मुताबिक़ उस दरख़्त के पास जाने से ख़ुद को रोके रखा फिर इनके दिल में शैतान ने वसवसा डाला और आख़िर कार दोनों ने वो फल खा लिया जिस से अल्लाह तआला ने उन्हें मना फ़रमाया था।

अभी फल खाना शुरू ही किया था कि जन्नती लिबास उतर गया और वह दोनों, पत्तों से अपना सतर ढकने लगे और शर्मिन्दा होकर इधर उधर भागने लगे। अल्लाह त’आला ने फ़रमाया, ऐ आदम! क्या मुझ से भागते हो, उन्हों ने कहा “नहीं, ऐ मेरे रब! बल्कि तुझ से हया करता हूँ।” अल्लाह त’आला ने कहा कि “ऐ आदम! क्या मैंने तुमसे उस दरख़्त के पास जाने से मना नहीं किया था? क्या मैने तुम्हें ख़बरदार नहीं किया था कि शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है?” हज़रत आदम (अ.स.) फ़ौरन अपनी ग़लती का अहसास करते हुए सजदे में गिर गए और नदामत से अर्ज़ करने लगे-

ऐ परवरदिगार हम ने अपनी जानों पर ज़ुल्म किया और अगर आप ने अपने फ़ज़्ल व करम से हमे माफ़ न फ़रमाया और हम पर रहम न फ़रमाया तो हम नुक़सान उठाने वाले हो जायेंगे। (सूरह अल-ऐराफ़, आयत -23)

हज़रत आदम (अ.स.) और हाव्वा को ज़मीन पर उतारा गया

अल्लाह तआला जो सब के दिलों के हाल जानता है वह हज़रत आदम (अ.स.) के दिल की कैफ़ियत को अच्छी तरह जानता था। लेकिन अल्लाह को दुनिया को आबाद करना था और इन्सान की नस्लों को  बढ़ाना था इसलिए अल्लाह त’आला ने हज़रत आदम (अ.स.) और हव्वा (अ.स.) को हुक्म दिया कि तुम ज़मीन पर उतर जाओ और वहीं पर रहो और यह बात हमेशा याद रखो कि- “शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है।”

कहा जाता है की आदम (अ.स.) को हिंद में और हाव्वा (अ.स.) को जेद्‍दाह मैं उतारा गया। वो अपनी ग़लती पर बहुत शर्मिंदा थे उन्हो ने तौबा की तो अल्लाह ने उन्हे कुछ कलमात सिखाए जिसको उन्होने जब पढ़ा तो अल्लाह ने उन्हे माफ़ किया। और अराफ़ात के मैदान में वो मिले फिर दुनिया शुरू हुई।

ख़ाना-ए-काबा की तरफ़ जाने का हुक्म

हज़रत आदम (अ.स.) को हिंद में एक पहाड़ की चोटी की तरफ़ उतारा गया। फिर वो पहाड़ से नीचे ज़मीन पर आए और ज़मीन की तरफ़ देखा तो दूर तक फैली हुई ज़मीन के अलावा कुछ नज़र न आया तो वो कहने लगे “ऐ मेरे रब! क्या मेरे सिवा आपकी ज़मीन को आबाद करने वाला कोई नहीं?” तो अल्लाह तआला ने फरमाया “अनक़रीब, मैं तुम्हारी औलाद पैदा करूँगा जो मेरी तस्बीह और हम्दो सना करेगी यानि मेरा ज़िक्र करेगी और तारीफ़ बयान करेगी और ऐसा घर बनाऊंगा जिसे मेरी याद में बनाया जायेगा और इसे बुज़ुर्गी और बड़ाई के साथ ख़ास करके अपने नाम के साथ फ़ज़ीलत दूंगा और इसका नाम ख़ाना-ए-काबा रखूँगा” और कहा “जब तक तुम ज़िन्दा रहोगे इसे आबाद करोगे इसके बाद तुम्हारी औलाद में से बहुत से नबी, उम्मतें और क़ौमें होंगी जो हर ज़माने में इसे आबाद करेंगी।”

फिर आदम (अ.स.) को हुक्म दिया कि वह ख़ाना-ए-काबा जाएं और इसका तवाफ़ करें जैसे कि अर्श पर फ़रिश्तों को करते देखा है। उस वक़्त काबा एक याक़ूत या मोती की शक्ल में था। बाद में जब नूह (अ.स.) की क़ौम पर पानी के सैलाब का अज़ाब नाज़िल हुआ तो अल्लाह तआला ने इसे आसमान पर उठा लिया। उसके बाद अल्लाह तआला ने इब्राहीम (अ.स.) को ख़ाना-ए-काबा को दोबारा तामीर करनेका हुक्म दिया।

रिवायत है कि आदम (अ.स.) ख़ाना-ए-काबा पहुँच कर इसका तवाफ़ किया और हज के सब अरकान अदा किये। फिर “अराफ़ात” के मैदान में आदम (अ.स.) हव्वा (अ.स.) से मिले, दोनों एक दूसरे को पहचान गये और मुज़दलफा में एक दूसरे के क़रीब हुए। फिर दोनों “हिन्द” की तरफ़ रवाना हुए।

हज़रत आदम (अ.स.) की औलाद

हव्वा (अ.स.) ने 20 विलादत (Pregnancy) में 40 बंच्चो को पैदा किया। इस में से कुछ के नाम ये हैं

बेटों के नाम: क़ाबील, हाबील, शीश (अ.स.), अबाद, बालिग़, असानी, तूबा, बनान, शबूबा, हय्यान, ज़राबीस, हज़र, यहूद, सन्दल, बारुक़

बेटियों के नाम: क़लीहा, अक़लीमा, लियूज़ा, अशूस, ख़रूरता

हर बार जुड़वा बच्चे पैदा होते थे एक लड़का और एक लड़की। जो बच्चे एक साथ पैदा होते थे उनकी शादी एक दूसरे से नही हो सकती थी जो अलग अलग पैदा होते थे उनकी शादी हो सकती थी।

आदम(अ.स.) ने अपनी औलाद को वो सब सिखाया जो अल्लाह तआला ने उन्हे सिखाया था। वो सब एक अल्लाह की इबादत करते थे और खेती करते और जानवरों को पालते थे।

हाबील और क़ाबील

आदम (अ.स.) के बेटों मैं से 2 बेटे थे क़ाबील और हाबील। क़ाबील के साथ जो बेटी पैदा हुई थी वो बहुत खूबसूरत थी लेकिन हाबील के साथ जो पैदा हुई थी वो उतनी खूबसूरत नही थी।

क़ाबील ने आदम (अ.स.) से कहा की वो अपनी जुड़वा बहन से शादी करेगा, आदम (अ.स.) ने मना कर दिया क्योंकि अल्लाह त’आला ने इसकी इजाज़त नही दी थी। क़ाबील स्वभाव में बहुत सख़्त था और वो खेती करता था लेकिन हाबील बहुत नरम स्वभाव के थे वो बकरियाँ संभालते थे।

आदम (अ.स.) ने कहा के तुम दोनो अपनी क़ुर्बानी अल्लाह त’आला को पेश करो जिसकी क़ुर्बानी अल्लाह ता’अलह क़ुबूल कर लेगा वो सही होगा. उस ज़माने में जब अल्लाह के लिए क़ुर्बानी पेश की जाती तो एक आग आती जिसकी क़ुर्बानी वो आग खा लेती उसकी क़ुर्बानी क़ुबूल हो जाती थी।

हाबील ने सबसे अच्छा जानवर कुर्बान किया और क़ाबील ने सबसे रद्दी फसल का हिस्सा कुर्बान किया। हाबील की कुर्बानी क़ुबूल हुई और काबिल की कुर्बानी क़ुबूल नही हुई तो वो बहुत गुस्सा हुआ।

एक दिन मौका देख कर उसने हाबील से कहा की मैं तुम्हे खत्म कर दूँगा इस पर हाबील ने कहा मैं तुम पर हाथ नही उठाउँगा लेकिन काबिल ने हाबील के सर पर बड़ा सा पत्थर मारा और हाबील का कत्ल कर दिया। अब काबिल को समझ में नहीं आया की हाबील की लाश का क्या करे? क्यों की इससे पहले कोई मारा नही था। तब अल्लाह ता’अलह ने 2 कौवे (Crows) को भेजा उन्होने लड़ाई की और एक ने दूसरे को मार डाला, फिर पहले ने गड्ढा खोदा और मारे हुए कौवे को दफ़ना दिया, ये देख कर काबिल ने भी हाबील को दफ़ना दिया।

फिर जिससे शादी करना चाहता था उसे लेकर आदम (अ.स.) से बहुत दूर चला गया। आदम (अ.स.) की क़ौम में से जो जो शैतान के बहकावे में आते गये वो भी काबिल से मिलते गये।

हज़रत आदम (अ.स.) के वारिस

आदम (अ.स.) को जब हाबील के क़त्ल के बारे मैं पता चला तो उन्हे बहुत तकलीफ़ हुई फिर अल्लाह त’आला ने शीस (अ.स.) को उनके बाद नबी (पैगंबर) बनाया जो उनके ही बेटे थे, उनकी पैदाइश हाबील के क़त्ल के 50 साल बाद हुई। आदम (अ.स.) ने शीस (अ.स.) को सारा इल्म सिखाया। अल्लाह ने 104 सहीफ़े उतारे उसमे से 50 शीस (अ.स.) को दिए।

हज़रत आदम (अ.स.) नबी व रसूल है

जिस नबी (पैगंबर) पर किताब नाज़िल की गई हो और नई शरीयत लेकर आये हों उन्हें रसूल कहते हैं। अल्लाह त’आला ने आदम (अ.स.) को उनकी औलाद की ही तरफ़ रसूल बना कर भेजा और उन पर सहीफ़े नाज़िल हुए।

हज़रत आदम (अ.स.) की वफ़ात

आदम (अ.स.) की रूह क़ब्ज़ होने के बाद फ़रिश्तों ने उन्हें बेरी के पत्तों और पानी के साथ ताक़ अदद के मुताबिक़ ग़ुस्ल दिया। कफ़न में भी ताक़ अदद का लिहाज़ रखा फिर लहद बनाकर सुपुर्दे खाक़ किया। और फ़रमाया कि इनकी औलाद में भी यही तरीक़ा जारी रहेगा।

फिर शीश (अ.स.) ने अपने वालिद आदम (अ.स.) के जनाज़े की नमाज़ पढ़ाई और दफ़नाया गया।

हज़रत हव्वा (अ.स.) की वफ़ात

हज़रत आदम (अ.स.) की वफात के एक साल बाद ही हव्वा (अ.स.) का भी इंतेक़ाल हो गया। उनकी वफ़ात “बूज़” नामी पहाड़ी पर हुई।

Share this:
error: Content is protected !!