पैग़म्बर मुहम्मद (ﷺ) के बेटे और बेटियों की जानकारी

वाक्यांश ‘सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम’ यानी ‘Peace be upon him’ का मतलब “ए नबी! आप पर सलामती हो।”
यह आमतौर पर मुसलमान पैग़म्बर मुहम्मद के नाम के साथ कहते या लिखते हैं।
इस्लाम के दूसरे पैग़म्बरों के लिए ‘अलै हिस्सलाम’ प्रयोग किया जाता है।

अल्लाह के पैगम्बर मुहम्मद  के परिवार के बारे में बहुत कम मुसलमानों को यह पता होता है कि उनके कितने बेटे और बेटियां हैं? और उनके नाम क्या हैं? चलिए आज हम यह जानते हैं।

अल्लाह के आखिरी नबी हज़रत मुहम्मद ﷺ की चार बेटियाँ और दो बेटे हज़रत खदीजा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा से थी । और सभी की पैदाइश मक्का में हुई थी। उनके एक बेटे इब्राहिम (रदी अल्लाहु अन्हु) मारिया किबतिया रज़ियल्लाहु तआला अन्हा से थे।

पहले बेटे हज़रत क़ासिम(रदी अल्लाहु अन्हा):

  • पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ के सबसे बड़े बेटे का नाम हज़रत क़ासिम (रदी अल्लाहु अन्हु) का जन्म 598 AD मे हुआ था जो हज़रत खदीजा (रदी अल्लाहु अन्हा)से थे। इस समय पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 28 साल के थे।
  • 2 साल की उम्र में जब हज़रत क़ासिम (रदी अल्लाहु अन्हु) ने चलना शुरू किया ।
  • 609 CE में अपने पिता की पैगम्बरी की शुरुआत से पहले, उनके तीसरे जन्मदिन के बाद, 601 AD में उनकी मृत्यु हो गई, और उन्हें जन्नत अल-मुआल्ला कब्रिस्तान में दफनाया गया।
  • अरब संस्कृति में, लोग दूसरों को उनके बच्चों के नाम से पुकारते थे इसीलिए पैगंबर मुहम्मद ﷺ को अबू अल-कासिम भी कहा जाता था।

पहली बेटी हज़रत ज़ैनब(रदी अल्लाहु अन्हा):

  • अल्लाह के नबी की सबसे बड़ी बेटी हज़रत ज़ैनब (रदी अल्लाहु अन्हा)कासिम के एक साल बाद 599 AD मे पैदा हुई थी ।
  • हज़रत ज़ैनब (रदी अल्लाहु अन्हा)जब पैदा हुई उस वक़्त आप ﷺ की उम्र 30 साल थी।
  • हज़रत ज़ैनब (रदी अल्लाहु अन्हा)का निकाह 11 साल की उम्र में अपनी खाला के बेटे, हज़रत अबुल आस बिन अल-रबी (रदी अल्लाहु अन्हु) के साथ हुआ था।
  • हज़रत ज़ैनब (रदी अल्लाहु अन्हा) ने इस्लामी तालीम अपनी वालिदा हज़रत खदीजा (रदी अल्लाहु अन्हा)से हासिल की थी।
  • हज़रत ज़ैनब (रदी अल्लाहु अन्हा)की एक बेटी हज़रत उमामा (रदी अल्लाहु अन्हा) और एक बेटा अली (रदी अल्लाहु अन्हु) था।
  • नबी के जीते जी अली का देहांत हो गया। यही अली (रदी अल्लाहु अन्हु) मक्का मुकर्रम में विजयी प्रवेश के समय ऊँट की पीठ पर नबी के साथ बैठने वाला बच्चा था।
  • हम अक्सर हदीस में एक छोटी लड़की के बारे में पढ़ते हैं जो जब नबी नमाज़ पढ़ते है उनकी पीठ पर सवार हो जाती है। यह छोटी लड़की ज़ैनब की बेटी उमामा ही थी। नबी की मृत्यु के बाद उमामा लंबे समय तक जीवित रहीं।
  • हजरत अली (रदि अल्लाहु अनहु) ने हज़रत फातिमा (रदि अल्लाहु अनहु) जो कि उनकी पहली पत्नी थी की मृत्यु पर अपनी भतीजी उमामा से शादी की थी। उसके पास हजरत अली से कोई बच्चे नहीं थे। हजरत अली की मृत्यु के बाद फिर से उसकी शादी हजरत मुगीराह बिन नौफाल से हुई थी, जिससे उसका एक बेटा था जिसका नाम याहया था।
  • लेकिन हज़रत ज़ैनब के शौहर अबुल आस अभी भी मक्का के काफिरों के साथ थे इसीलिए वो लोगों के साथ मदीना हिजरत कर नहीं जा पायीं। बदर की जंग में काफिरों के साथ अबुल आस (रदी अल्लाहु अन्हु) क़ैद हो कर आए।
  • और जब रिहा हुए उसी वक़्त वो नबी से ये कह गए थे कि वो जैनब (रदी अल्लाहु अन्हा) को हिजरत की इजाज़त दे देंगे।
  • इस वजह से मदीना जाने को तैयार हुईं लेकिन हबार बिन अस्वद ने एक भाला तान कर मारा जिससे हज़रत जैनब (रदी अल्लाहु अन्हा)नीचे गिरीं और उनका हमल साकित हो गया(यानी गर्भ गिर गया)।
  • लेकिन वो किसी तरह मदीना अपने वालिद नबी करीम स.अ. की खिदमत में पहुँच गयीं और फिर उनका इन्तेकाल 30 साल की उम्र में 8 हिजरी(629 AD) में हुआ। और उन्हें जन्नत उल-बक़ी कब्रिस्तान में दफनाया गया।
  • और जब मुसलमान नहीं हुए थे तब काफिरों ने अबुल आस (रदी अल्लाहु अन्हु) को बहुत उत्तेजित किया था कि वह जैनब को तलाक दे दे, लेकिन उन्होंने इसका इंकार कर दिया था।
  • फिर कुछ दिनों बाद, हज़रत ज़ैनब (रदी अल्लाहु अन्हा) के मदीना जाने के बाद, अबुल आस (रदी अल्लाहु अन्हु) भी मुसलमान हो गए थे।

दूसरी बेटी हज़रत रुक़य्या (रदी अल्लाहु अन्हा):

  • अल्लाह के नबी मुहम्मद ﷺ की दूसरी बेटी रुक़य्या (रदी अल्लाहु अन्हा)हज़रत जैनब के 2 साल बाद 601 AD में पैदा हुई थी। इस समय पैगंबर मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 33 साल के थे।
  • उनकी शादी नबी के चाचा अबू लहब के एक बेटे उत्बाह से हुई थी, लेकिन अभी तक उसके साथ रहना शुरू नहीं किया था। जब सूरह लहब नाज़िल हुई। तब पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने इस्लाम का खुला प्रचार करना शुरू किया तो अबू लहब ने अपने बेटों उत्बाह और उतैबा (जिनसे नबी की एक और बेटी उम्मू कुलसुम से शादी की थी) को बुलाया और उनसे कहा: “जब तक तुम दोनों मुहम्मद ﷺ की बेटियों को तलाक नहीं देते, मैं तुम्हारा चेहरा नहीं देखूंगा।” उन्होंने अपनी पत्नियों को तलाक दे दिया। बाद में, जब मक्का को मुसलमानों ने जीत लिया, तो उत्बाह ने इस्लाम स्वीकार कर लिया। फ़िर 14 साल की उम्र में हज़रत रुक़य्या (रदी अल्लाहु अन्हा)का निकाह मक्का में हज़रत उस्मान बिन अफवान के साथ हुआ था। यह जोडा दो बार एबिसिनिया को शिफ़्ट हो गया।
  • जब मक्का के काफ़िर ईमान वालो को तक़लीफ़ देने और उन पर जुल्म करने में हद पार कर रहे थे। तब हज़रत रुक़य्या (रदी अल्लाहु अन्हा)और हज़रत उस्मान (रदी अल्लाहु अन्हु) मुहम्मद ﷺ की इजाज़त से मुसलमानों के साथ हबस में रहने चले गए।
  • हबस में इस जोड़े को अल्लाह ने एक बेटा अता किया जिसका नाम उन्होंने अब्दुल्ला (रदी अल्लाहु अन्हु) रखा दिया।
  • जब बदर की जंग हुई, तब हुज़ूर ﷺ बदर की तरफ तशरीफ़ ले जा रहे थे, उस वक़्त हज़रत रुक़य्या (रदी अल्लाहु अन्हा)बीमार थी। उनकी देखभाल करने के लिए उनके शौहर हज़रत उस्मान (रदी अल्लाहु अन्हु) को मदीने में रहने के लिए कहा गया।
  • इसी लिए हज़रत उस्मान (रदी अल्लाहु अन्हु) जंगे बदर में शामिल नही हो पाए और इसी बीमारी में हज़रत रुक़य्या (रदी अल्लाहु अन्हा) का इंतेक़ाल हो गया।
  • जिस दिन हज़रत ज़ैद बिन हरीश बदर की जंग की जीत की खुशी लेकर 623 AD में मदीना आए थे, उस वक़्त २२ साल की हज़रत रुक़य्या (रदी अल्लाहु अन्हा)को दफन किया जा रहा था।
  • हज़रत रुक़य्या (रदी अल्लाहु अन्हु) की मौत के दो साल बाद उनके बेटे अब्दुल्लाह (रदी अल्लाहु अन्हु) का भी 6 साल की उम्र में 4AH में इंतेक़ाल हो गया।

तीसरी बेटी हज़रत उम्मे कुलसूम (रदी अल्लाहु अन्हा):

  • हज़रत उम्मे कुलसूम (रदी अल्लाहु अन्हा) मुहम्मद ﷺ की तीसरी बेटी का जन्म 603 AD मे हुआ था। इस समय पैगंबर मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 34 साल के थे।
  • उनकी शादी नबी के चाचा अबू लहब के एक बेटे उतैबाह से हुई थी, लेकिन अभी तक उसके साथ रहना शुरू नहीं किया था। लेकिन जब पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने इस्लाम का खुला प्रचार करना शुरू किया तो उसका तलाक हो गया।
  • उसे तलाक़ देने के बाद, उतैबा नबी के पास आया और उसे बुरा भला कहा।
  • नबी ने यह दुआ करके उन्हें श्राप दिया: “हे अल्लाह! अपने कुत्तों में से एक को उसे दण्ड देने का आदेश दीजिये।“
  • अबू तालिब, जिसने इस्लाम स्वीकार नहीं किया था, अभिशाप से हैरान था और उसने उतैबा से कहा; “अब आपके पास बचने का कोई रास्ता नहीं है।”
  • एक बार, उतैबा और अबू लहब लोगों के एक समूह के साथ सीरिया गए। अबू लहब ने अपने कुफ्र और घृणा के बावजूद लोगों से कहा: “मैं मुहम्मद ﷺ के अभिशाप से डरता हूँ। सभी को मेरे बेटे का ख्याल रखना चाहिए।”
  • वे एक ऐसे स्थान पर डेरा डाले हुए थे जहाँ बहुत से शेर थे। लोगों ने अपना सारा सामान ढेर कर दिया था और उतैबा को ढेर के ऊपर सुला दिया गया था, जबकि बाकी लोग ढेर के चारों ओर सो गए थे।
  • रात को एक शेर आया; और ढेर के आस पास सो रहे सब लोगों को सूंघा। शेर फिर लोगों के ऊपर से कूद गया और उतैबा के पास पहुंच गया। वह चिल्लाया, लेकिन शेर ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया था।
  • यह अत्यंत आवश्यक है कि हम अल्लाह तआला के प्रिय लोगों के प्रति असभ्य होने से बचें। नबी ने बताया है: अल्लाह को यह कहते हुए कि जो मेरे दोस्तों का अपमान करता है, मैं उसके साथ युद्ध की घोषणा करता हूं।
  • हज़रत रुक़य्या (रदी अल्लाहु अन्हा)के इंतेक़ाल के 1 साल के बाद, अल्लाह के रसूल ﷺ ने अपनी दूसरी बेटी हज़रत उम्मे कुलसूम (रदी अल्लाहु अन्हा) का निकाह भी 21 साल की उम्र में हज़रत उस्मान (रदी अल्लाहु अन्हु) से कर दिया।
  • हज़रत रुक़य्या (रदी अल्लाहु अन्हा)की शादी हज़रत उस्मान (रदी अल्लाहु अन्हु) से 3 हिजरी में की गई थी।
  • हज़रत उस्मान (रदी अल्लाहु अन्हु) को दो नूरो वाला कहा जाता है क्यों कि उनके निकाह में अल्लाह के रसूल ﷺ की दो बेटियाँ आई थी।
  • ये एक ऐसी नेमत थी जो किसी दूसरे के पास नही थी।
  • लेकिन उनकी शादी के 6 साल बाद, बीमारी के कारण 9 हिजरी(630 AD) को 27 साल की उम्र में उम्मे कुलसूम (रदी अल्लाहु अन्हा) का भी इंतकाल हो गया।
  • उनकी कोई औलाद नही थी। उम्मे कुलसूम (रदी अल्लाहु अन्हा)को हज़रत रुक़य्या (रदी अल्लाहु अन्हा) की कब्र के के बगल में दफन किया गया था।

चौथी बेटी हज़रत फातिमा (रदी अल्लाहु अन्हा):

  • हज़रत फातिमा (रदी अल्लाहु अन्हा) अल्लाह के रसूल की चौथी और सबसे छोटी बेटी थी। इनका जन्म 605 ईस्वी मक्का में हुआ था। “अल-ज़हरा और “बतूल”ये दोनों आप की उपाधियाँ थी। इस समय पैगंबर मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 35 साल के थे।
  • हज़रत फातिमा (रदी अल्लाहु अन्हा)का निकाह 15 साल की उम्र में बदर के वाक़्यात के बाद लेकिन ओहद के वाक़्या से पहले रसूल ﷺ ने २१ साल के हज़रत अली इब्न तालिब (रदी अल्लाहु अन्हु) से 2 A.H में कर दिया था। हज़रत अली रिश्ते में पैगंबर के दूर के चचेरे भाई भी लगते थे। साढ़े सात महीने बाद वह उसके साथ रहने लगी।
  • फातिमा और अली के बच्चे ही पैगंबर के वारिस हैं।
  • उनके पहले कुछ साल घोर गरीबी में गुजरे।
  • हज़रत फातिमा (रदी अल्लाहु अन्हा) की पाँच औलादे हुई। बेटे हज़रत हसन (रदी अल्लाहु अन्हु) और हज़रत हुसैन (रदी अल्लाहु अन्हु) हज़रत मोहसिन (रदी अल्लाहु अन्हा) और
  • हज़रत फातिमा (र.अ) की बेटियों के नाम रुक़य्याह(रदी अल्लाहु अन्हा), हज़रत उम्मे कुलसूम (रदी अल्लाहु अन्हा)और हज़रत ज़ैनब(रदी अल्लाहु अन्हा) था।
  • हजरत हसन (रदी अल्लाहु अन्हु) और हजरत हुसैन (रदी अल्लाहु अन्हु) शादी के बाद क्रमशः दूसरे और तीसरे वर्ष में पैदा हुए।
  • तीसरे बेटे मोहसिन (रदी अल्लाहु अन्हु) का जन्म 4 हिजरी में हुआ था, लेकिन बचपन में ही उसकी मृत्यु हो गई।
  • उनकी पहली बेटी रुकय्याह का भी बचपन में निधन हो गया था और इतिहास में इसका ज्यादा उल्लेख नहीं किया गया है।
  • उनकी दूसरी बेटी उम्मू कुलसुम, जिनकी पहली शादी हज़रत उमर (रदी अल्लाहु अन्हु) से हुई थी, का एक बेटा ज़ैद और एक बेटी रुकय्याह थी। हज़रत उमर की मृत्यु के बाद, हज़रत उम्मू कुलसुम (रज़ी अल्लाहु अन्हा) का विवाह औन बिन जाफ़र से हुआ था, लेकिन उनके कोई संतान नहीं थी। उनकी मृत्यु के बाद, उनके भाई मुहम्मद बिन जाफ़र ने उनसे शादी की। उनके यहां एक बेटी का जन्म हुआ, जो बचपन में ही चल बसी। यहां तक कि मुहम्मद का उनके जीवनकाल में ही निधन हो गया था और फिर उनकी शादी तीसरे भाई अब्दुल्ला बिन जाफर से हुई थी, जिनसे उन्हें कोई संतान नहीं थी। उसका निधन अब्दुल्ला की पत्नी के रूप में ही हो गया। उसके बेटे ज़ैद का भी उसी दिन निधन हो गया और उन दोनों को एक ही समय में दफनाने के लिए ले जाया गया।
  • ज़ैनब, हज़रत फ़ातिमा की तीसरी बेटी, का विवाह अब्दुल्ला बिन जाफर से हुआ था और उसके दो बेटे अब्दुल्ला और औन थे। उसकी मृत्यु के बाद, उसने उसकी बहन हज़रत उम्मे कुलसुम (रदी अल्लाहु अन्हा) से शादी की।
  • फातिमा (रदी अल्लाहु अन्हा) के बाद हज़रत अली (रदी अल्लाहु अन्हु) की दूसरी पत्नियों से और भी कई बच्चे हुए। कहा जाता है कि उनके बत्तीस बच्चे थे।
  • हसन (रदी अल्लाहु अन्हु) के पंद्रह बेटे और आठ बेटियाँ थीं, जबकि हुसैन (रदी अल्लाहु अन्हु) छह बेटों और तीन बेटियों के पिता थे।
  • हज़रत फातिमा (रदी अल्लाहु अन्हा) के अलावा किसी और बेटी से पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ﷺ की नस्ल का सिलसिला नहीं चला।
  • हज़रत आयशा (रदी अल्लाहु अन्हा) फरमाती हैं की हज़रत फ़ातिमा (रदी अल्लाहु अन्हा) बात-चीत में बिलकुल नबी ﷺ की तरह थी।
  • फातिमा (रदी अल्लाहु अन्हा) और अली (रदी अल्लाहु अन्हु) के दोनों बेटों, हसन-हुसैन (रदी अल्लाहु अन्हु) की मौत प्राकृतिक(Natural) नहीं हुई। उन्हें मारा गया था।
  • हजरत हसन (रदी अल्लाहु अन्हु) को ज़हर दिया गया और हजरत हुसैन (रदी अल्लाहु अन्हु) को कर्बला में मार दिया गया।
  • हजरत हुसैन (रदी अल्लाहु अन्हु) वही हैं, जिनकी याद में इस्लाम के पहले महीने, मुहर्रम में ग़म मनाया जाता है।
  • हजरत हुसैन (रदी अल्लाहु अन्हु) के बाद उनके वारिस के रूप में उनके बेटे ज़ैनुल आबदीन (रदी अल्लाहु अन्हु) थे।
  • पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ﷺ की वफ़ात के 6 महीने के बाद ही 11 हिजरी रमज़ान 633 ईस्वी मदीना में हज़रत फातिमा (रदी अल्लाहु अन्हा)की 27 साल की उम्र में मृत्यु हो गई।
  • कई लोगों का मानना है कि पैगंबर मुहम्मद ﷺ, फातिमा अल-ज़हरा (रदी अल्लाहु अन्हा) से, अपने सभी बच्चों में, सबसे अधिक प्यार करते थे। जब भी वह किसी यात्रा पर जाते थे, तो वह उससे सबसे आखिर में मिलते थे और जब वह घर लौटते थे, तो सबसे पहले वह उससे मिलते थे।

दूसरे बेटे हज़रत अब्दुल्लाह (रदी अल्लाहु अन्हु):

  • 4 बेटियों के बाद हज़रत मुहम्मद ﷺ ने दूसरे बेटे का नाम अपने पिता के नाम पर अब्दुल्लाह (रदी अल्लाहु अन्हु) रखा था। उनका जन्म 611 AD में हुआ था।
  • हज़रत अब्दुल्लाह (रदी अल्लाहु अन्हु) को तय्यब और ताहिर भी कहा जाता था।
  • अब्दुल्ला भी 2 साल की छोटी उम्र में 613 AD में वफ़ात पा गए। उनकी पैदाइश नबुव्वत के आठवें साल मक्का में हुई थी और मक्का में ही उनकी वफ़ात हुई थी।
  • जब हज़रत अब्दुल्लाह का वफ़ात हुवा तो मक्का के मुशरिक ये समझ रहे थे की मुहम्मद का नाम लेने वाला कोई नहीं रहा।
  • इसी बात पर अल्लाह तआला ने क़ुरआन शरीफ में सूरह क़ौसर नाज़िल की थी।
  • मक्का के मुशरिकों को अपनी औलादों पर बहोत ग़ुरूर था। लेकिन आज उन्ही का कोई नाम लेने वाला नहीं जबकि चौदह सौ से अधिक वर्षों के बाद भी, आज लाखों लोग हैं जो नबी ﷺ से जुड़े होने पर गर्व करते हैं।

तीसरे बेटे थे हज़रत इब्राहीम (रदी अल्लाहु अन्हु):

  • हज़रत इब्राहीम (रदी अल्लाहु अन्हु) हज़रत मुहम्मद ﷺ के तीसरे बेटे का जन्म 630 AD को हुआ था।
  • उनकी मां का नाम मारिया किबतिया रज़ियल्लाहु तआला अन्हा था।
  • नबी ﷺ ने बच्चे के जन्म के सातवें दिन अकीकाह किया।
  • दो भेड़ों की कुर्बनी की गई थी, बच्चे के सिर को हैदरत अबू हिंद बेयाज़ी ने मूडा था, उसके बालों के बराबर वजन में चांदी को दान में दिया गया और बालों को दफनाया गया था।
  • वो कुछ वक़्त तक ही दुनिया में रहे 17 या 18 महीने ही वो दुनिया में रहे और हिजरत के बाद दसवे साल, दसवी रबी उल अव्वल को पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु से 2 दिन पहले 632 AD को उनका इन्तेकाल हो गया। इब्राहिम की मौत के दिन सूर्य ग्रहण हुआ था।
  • हज़रत मुहम्मद ﷺ अपने छोटे बेटे की मौत पर बहुत दुखी थे और फ़रमाया कि हकीकत में ये आँखें, आंसू बहाती है और ये दिल दुखी है।

पैगंबर का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी अली के बेटों और उनके बेटों से चला। वही उनका परिवार था।

पैगंबर के परिवारिक वारिस के रूप में 11 पीढ़ियां बताई जाती हैं।

  1. अली,
  2. हसन-हुसैन,
  3. ज़ैनुल आबेदीन,
  4. मुहम्मद बाक़िर,
  5. जाफर सादिक़,
  6. मुसा काज़िम,
  7. अली रिज़ा,
  8. मौहम्मत तक़ी,
  9. अली नक़ी,
  10. हसन असकरी,
  11. मुहम्मद मेहदी
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