मस्बूक़: एक या दो रक्अत के बाद जमाअत में शरीक होने वाला।
जमाअत से नमाज़ पढ़ने के लिए आप मस्जिद में ऐसे वक़्त पहुंचे, जैसे अस्र की नमाज़ की एक या दो रक्अतें हो चुकी थीं, ऐसे वक़्त फ़ौरन वजू करके इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ने की नीयत करके जमाअत में शरीक हो जाइए। वक़्त हो तो सना पढ़ लीजिए। आख़िरी रक्अत के क़ादे में आप सिर्फ़ अत्तहीयात पढ़िए और दरुद शरीफ़ न पढ़िए। खामोश बैठे हुए इमाम के सलाम का इन्तिज़ार कीजिए, जब इमाम सलाम फेर चुके तो आप तक्बीर कहते हुए खड़े हो जाइए। अब आप अपनी नमाज़ शुरू से पढ़िए यानी सना, तअव्वुज़ और तस्मिया पढ़िए। सूर: फ़ातिहा और आयतें पढ़ने के बाद रुकूअ और सज्दे कीजिए। अब अगर आप की दो रकअतें हो गयी हैं तो सज्दे के बाद बैठ कर अत्तहीयात पढ़िए। अगर यह तीसरी रक्अत है तो सज्दा के बाद खड़े हो जाइए और सूर: फ़ातिहा और आयतें पढ़िए और चार रक्अतें पूरी करने के बाद अतहीयात और दरुद शरीफ़ और दुआ पढ़ कर सलाम फेर लीजिए।
जमाअत में शरीक होने के बाद जो इब्तिदाई रक्अतें रह गयी थीं, उन को खड़े होकर अदा किया जाता है, लेकिन अत्तहीयात के लिए अदा की गयी रकअतों का ख्याल रखा जाता।
जैसे: जिस समय आप जमाअत में शामिल हुए, इमाम साहब अस की नमाज़ की तीन रक्अत पढ़ा चुके थे, औए चौथी रक्अत में खड़े थे, आप तक्बीरे तहरीमा कह कर जमाअत में शरीक हो जाइये। इमाम के साथ रुकूअ और सज्दे करिये। अब जमाअत की चार रक्अतें पूरी हो चुकी थीं। इमाम ने सलाम फेरा, दाएं तरफ़ सलाम के वक़्त आप बैठे रहिए, जब इमाम बाई तरफ़ सलाम कहे तो आप तक्बीर कहते हुए खड़े हो जाइए। आप सना, तअव्वुज़, तस्मिया और फिर सूरः फ़ातिहा और आयतें पढ़ कर रुकूअ और सज्दे कीजिए। अब आप की दो रक्अतें पूरी हो गयीं, इस लिए आप बैठकर अत्तहीयात पढ़िए। अत्तहीयात के बाद तक्बीर कहते हुए खड़े हो जाइए। अब आप इस रक्त में सूर: फ़ातिहा के बाद आयतें भी पढ़िए, क्योंकि यह रक्अत आप की वह दूसरी रक्अत हैं, जो आपने इमाम के साथ नहीं पढ़ी थी। रुकूअ व सज्दे के बाद बैठिए नहीं, बल्कि खड़े होकर सिर्फ सूरः फ़ातिहा पढ़ कर रुकूअ व सज्दे कर लीजिए। आप की भी अब चार रक्अतें पूरी हो गयीं, एक इमाम के साथ और तीन अकेले, इस लिए सज्दे के बाद अत्तहीयात, दरुद शरीफ़ और दुआ पढ़ कर सलाम फेरिए। .. मगिरब की जमाअत में आप को इमाम के साथ आख़िरी रक्अत मिल सकी है, तो आप इमाम के साथ रुकूअ और सज्दे करके क़ादे में सिर्फ अत्तहीयात पढ़ कर खामोश बैठ जाइए। जब इमाम एक सलाम के बाद दूसरा सलाम फेरे, तो आप तक्बीर कहते हुए खड़े हो जाइए, और सना, तअव्वुज़ और तस्मिया और सूर: फ़ातिहा और आयतें पढ़ कर रुकूअ और सज्दे करके बैठ जाइए और सिर्फ अत्तहीयात पढ़ कर तक्बीर कहते हुए तीसरी रक्अत के लिए खड़े हो जाइए और इस रक्त में भी सूर: फ़ातिहा के साथ कोई सूर: पढ़िए और रुकूअ और सज्दे कर के आखिर क़ादे में अत्तहीयात, दरूद और दआ पढ़ कर सलाम फेर लीजिए। इस तरह बगैर सूर: की एक रक्अत तो इमाम के साथ हो गयी और दो रक्अतें सूर: फ़ातिहा और आयतों समेत अदा कर ली।
नमाज़ के फ़र्जी और शर्तों के खिलाफ तमाम चीजें नमाज़ तोड़ देती हैं।
- नमाज़ में जोर से खांसना, जम्हाई लेना और डकारें लेना मकरूह हैं।
- मुनासिब और साफ़ कपड़े होना चाहिए। ऐसे कपड़े पहन कर नमाज़ पढ़ना मकरूह है, जिनको पहन कर आप किसी अच्छी महिफ़ल में जाना पसंद न करें।
- नमाज़ पढ़ने वाले के सामने से न गुज़रिए क्योंकि इससे नमाज़ पढ़ने वाले का ख्याल बटता है, जिसका गुनाह आप को होगा।
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