इल्म का बयान 4

कोई मसअला पेश आने पर सफर करना और अपने घर वालों को तालीम देना।

77: उक्बा बिन हारिस रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है कि उन्होंने अबू इहाब बिन अजीज की बेटी से निकाह किया। फिर एक औरत आयी और कहने लगी कि मैंने उक्बा और उसकी बीवी को दूध पिलाया है। उक्बा ने कहा कि मुझे तो इल्म नहीं है कि तूने मुझे दूध पिलाया है और न पहले तुमने इसकी खबर दी, फिर उक्वा सवार होकर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास मदीना मुनव्वरा आ गये और आपने मसअला पूछा तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः “(तू उस औरत से) कैसे (मिलेगा) जब कि ऐसी बात कही गई है, आखिर उक्बा रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने उस औरत को छोड़ दिया और उसने किसी दूसरे आदमी से शादी कर ली।

फायदे: इस हदीस से उन शकों की तफ्सीर होती है, जिनसे बचने को कहा गया है।

इल्म हासिल करने के लिए बारी बांधना।

78: उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है, उन्होंने फरमाया कि मैं और मेरा एक अन्सारी पड़ोसी बनू उम्मया बिन जैद के गांव में रहा करते थे जो मदीने की बुलन्दी की तरफ था, और हम रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में बारी बारी आते थे। एक दिन वह आता और एक दिन मैं, जिस दिन मैं आता था, उस रोज की वह्य वगैरह का हाल मैं उसको बता देता था और जिस दिन वह आता, वह भी ऐसा ही करता था। एक दिन ऐसा हुआ कि मेरा अन्सारी दोस्त जब वापस आया तो उसने मेरे दरवाजे पर जोर से दस्तक दी और कहने लगा कि वह (उमर) यहां है? मैं घबराकर बाहर निकल आया तो वह बोलाः आज एक बहुत बड़ा हादसा हुआ। (रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी बीवियों को तलाक दे दी है) उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु कहते हैं कि मैं हफ्सा रज़ियल्लाहु ‘अन्हा के पास गया तो वह रो रही थीं। मैंने कहा, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तुम्हें तलाक दे दी है? वह बोलीं, मुझे इल्म नहीं है। फिर मैं नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास हाजिर हुआ और खड़े खड़े अर्ज किया कि क्या आपने अपनी बीवियों को तलाक दे दी है? आपने फरमाया, “नहीं” तो मैंने (मारे खुशी के) अल्लाहु अकबर कहा।

फायदे: मालूम हुआ कि अगर पड़ोसियों को तकलीफ ना हो तो छत पर बालाखाना बनाने में कोई हर्ज नहीं (अलमज़ालिम 2468)। और बाप को चाहिए कि वह अपनी बेटी को शौहर की इताअत और फरमांबरदारी के बारे में नसीहत करता रहे। (अन्निकाह 5191)

तकरीर या तालीम के वक्त किसी बुरी बात पर नाराजगी जाहिर करना।

79: अबू मसऊद अन्सारी रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है उन्होंने फरमाया कि एक आदमी ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाजिर होकर अर्ज किया ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! मेरे लिए नमाज जमाअत से पढ़ना मुश्किल हो गया है, क्योंकि फलां आदमी नमाज बहुत लम्बी पढ़ाते हैं। अबू मसऊद अन्सारी रज़ियल्लाह ‘अन्हु कहते हैं कि मैंने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को नसीहत के वक्त उस दिन से ज्यादा कभी गुस्से में नहीं देखा। आपने फरमाया, लोगो! तुम दीन से नफरत दिलाने वाले हो। देखो जो कोई लोगों को नमाज पढ़ाये उसे चाहिए कि हल्की नमाज पढ़ाये, क्योंकि पीछे नमाज पढ़ने वालों में बीमार, कमजोर और जरूरतमन्द भी होते हैं।

फायदे: मालूम हुआ कि मस्जिद के इमामों को अपने पीछे नमाज पढ़ने वालों का ख्याल रखना चाहिए, और गुस्सा की हालत में फैसला या फतवा देना, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खुसूसियत है, दूसरों को इसकी इजाजत नही। (अलअहकाम, -7159)। मगर यह कि इन्सान पर गुस्से का असर न हो।

Hadis 80

जैद बिन खालिद जुहनी रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से गिरी हुई चीज के बारे में पूछा गया तो आपने फरमाया: “उसके बन्धन या बरतन और थैली की पहचान रख और एक साल तक (लोगों में) उसका ऐलान करता रह, फिर उससे फायदा उठा, इस दौरान अगर उसका मालिक आ जाये तो उसके हवाले कर दे।” फिर उस आदमी ने पूछा कि गुमशुदा ऊंट का क्या हुक्म है? यह सुनकर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इस कद्र गुस्सा हुये कि आपका चेहरा सुर्ख हो गया (रावी को शक है) और फरमाया कि तुझे ऊंट से क्या गर्ज है? उसकी मश्क और उसका मोजा उसके साथ है, जब पानी पर पहुंचेगा, पानी पी लेगा और पेड़ से चरेगा, उसे छोड़ दे, यहां तक कि उसका मालिक उसको पा ले। फिर उस आदमी ने कहा, अच्छा गुमशुदा बकरी? आपने फरमायाः “वह तुम्हारी या तुम्हारे भाई (असल मालिक) या भेड़िये की है।”

फायदे: आजकल किसी आबादी में आवारा ऊंट मिले तो उसे पकड़ लेना चाहिए ताकि मुसलमान का माल महफूज रहे और किसी बुरे आदमी की भेंट न चढ़े। (औनुलबारी, 1/235)

Hadis 81

अबू मूसा अशअरी रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है, उन्होंने फरमाया कि एक बार नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से चन्द ऐसी बातें पूछी गयीं जो आपके मिजाज के खिलाफ थीं। जब इस किस्म के सवालात की आपके सामने तकरार की गई तो आपको गुस्सा आ गया और फरमाया, अच्छा जो चाहो, मुझ से पूछो। उस पर एक आदमी ने अर्ज किया, मेरा बाप कौन है? आपने फरमाया, तेरा बाप हुजाफा है, फिर दूसरे आदमी ने खड़े होकर कहा, या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! मेरा बाप कौन है? आपने फरमाया, तेरा बाप सालिम है, जो शैबा का गुलाम है। फिर जब उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने आपके चेहरे पर गजब के निशान देखे तो कहने लगे ऐ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! हम अल्लाह तआला की बारगाह में तौबा करते है।

फायदे: मालूम हुआ कि ज्यादा सवालात के लिए तकलीफ उठाना नापसन्दीदा अमल है। (अल एतसाम 7291)

खूब समझाने के लिए एक बात को तीन बार दोहराना।

82: अनस रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जब कोई अहम बात फरमाते तो उसे तीन बार दोहराते, यहां तक कि उसे अच्छी तरह समझ लिया जाये और जब किसी कौम के पास तशरीफ ले जाते तो उन्हें तीन बार सलाम भी फरमाते थे।

फायदे: रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का खास वक्तों में तीन बार सलाम करने का अमल था, जैसे किसी के घर में आने की इजाजत तलब करते वक्त ऐसा होता था या एक बार सलाम, इजाजत के लिए, दूसरा जब उनके पास जाते और तीसरा जब उनके पास से वापस होते। आम हालात में तीन बार सलाम करना आपके अमल से साबित नहीं। (औनुलबारी, 1/238)

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