Naik Maqasid me kamyabi aur Mushkilat ka hal

:چھ لا کھ دردوں کا ثواب والا درودشریف

cheh lakh darood ka sawab

اس درود پاک کا ایک دفعہ پڑھنا چھ لاکھ دفعہ درود پڑھنے کے برابر ہے۔

(جامع الصلوات۱۰۸۰)

छह लाख दरूदो का सवाब वाला दरूद शरीफ

cheh lakh darood ka sawab

इस दुरूद पाक को एक बार पढ़ना छह लाख बार दुरूद पढ़ने के बराबर है।

(जामी अल-सलवत 1080)

:دس ہزار درودوں کا ثواب اور دوزخ سے نجات

das hazar darudo ka sawab aur dozakh se nizaat

اس درود کا ایک بار پڑھنا دس ہزار درودوں کا ثواب رکھتا ہے اور سات سو(۷۰۰ ) بار پڑھنا دوزخ سے نجات کا ذریعہ ہے۔

(حوالہ بالا ،ص:۲۰۰۹ )

दस हजार दरूदो का सवाब और जहन्नम से छुटकारा:

das hazar darudo ka sawab aur dozakh se nizaat

इस दुरूद को एक बार पढ़ने से दस हजार दुरूदों का सवाब मिलता है और इसे सात सौ (700) बार पढ़ने से जहन्नम से मुक्ति मिलती है।

(हवाला बाला, पृ.: 2009)

 نبی کریم کا محبوب رہنے کے لئے

nabi kareem ka mahboob rahne ke liye darood

علامہ سخاوی رحمة الله علیہ فرماتے ہیں کہ اس درود کا ایک بار پڑھنا گیارہ ہزار بار درود پڑھنے کے برابر ہے اور جو شخص اس کو کثرت سے پڑھتا ہے وہ دربار رسالت میں محبوب ہو جاتا ہے۔ (حوالہ بالا ،ص:۹۴ ،۹)

नबी करीम का महबूब रहने के लिए

nabi kareem ka mahboob rahne ke liye darood

अल्लामा सखावी रह्मतुल्लह अलैह अल्लाह फ़रमाते हैं कि इस दुरूद का एक बार पढ़ना ग्यारह हजार बार दरूद पढ़ने के बराबर है, और जो व्यक्ति इसे बार-बार पढ़ता है वह रसूल के दरबार में प्रिय हो जाता है। (ऊपर संदर्भ, पृ. 94, 9)

بے چینی و بے قراری کے خاتمے اور نیک مقاصد میں کامیابی کے لئے

bechaeni wa beqarari ke khatme aur naik makasid me kaamyabi ke liye

کہا جاتا ہے کہ یہ درود حضور اکرم کا تلقین کردہ ہے۔ جو شخص مشکل حالات اور
دشوار معاملات میں گِھرا ہو وہ روزانہ ایک ہزار بار اس درود کو پڑھے انشاء اللہ جلد مشکلات کا خاتمہ اور امیدوں کو پورا ہوتا ہوا پائے گا۔ (حوالہ بالا ص
۱۶۵،۱۴۰)

बेचैनी और बेकरारी से छुटकारा पाने के लिए और नेक इरादों में सफलता पाने के लिए:

bechaeni wa beqarari ke khatme aur naik makasid me kaamyabi ke liye

कहा जाता है कि यह दरूद पवित्र पैगंबर का तलकीन करदह है।
वह व्यक्ति जो कठिन परिस्थितियों में है और कठिन मामलों में उलझा हो, वह इस दुरूद को प्रतिदिन 1000 बार पढ़े, ईश्वर ने चाहा तो वह जल्द ही कठिनाइयों का अंत और आशाओं को पूरा होता हुआ पाएगा।
(हवाला बाला पेज 165, 140)

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