जीवनी पैगंबर मुहम्मद पेज 32
छल कपट से मुस्लमानों का वध: जंग ओहद के बाद कुफ़्फ़ार अपनी गलीज़ चालों पर उतर आये जो इंसानियत को पामाल करने के लिये काफ़ी थी। वो ऐसा-ऐसा छल कपट का…
छल कपट से मुस्लमानों का वध: जंग ओहद के बाद कुफ़्फ़ार अपनी गलीज़ चालों पर उतर आये जो इंसानियत को पामाल करने के लिये काफ़ी थी। वो ऐसा-ऐसा छल कपट का…
जान निसारी की मिसालें: हज़रत ‘तल्हा’ ज़ख्म खाते-खाते चूर हो गए और गिर पड़े। जब बाक़ी सहाबा पहुँचे तो हुज़ूर अकरम ने कहा ‘तल्हा’ की ख़बर लो उनकी हालत ख़राब है।
जीत हार में बदलते हुए: क़ुरैश के क़दम उखड़ रहे थे। तभी ‘ख़ालिद बिन वलीद’ ने देखा कि पिछली तरफ़ से तीर अंदाज़ हट गए हैं और रास्ता साफ़ हो गया है। ‘ख़ालिद…
ओहद में: क़ुरैश की फ़ौज बुध के दिन मदीना के क़रीब पहुँची और ओहद पहाड़ पर पड़ाव डाला। हुज़ूर अकरम जुमे की नमाज़ पढ़ाकर एक हज़ार लोगों के साथ ओहद की तरफ़ चले।
विजय प्राप्ति: जंग ख़त्म होने पर पता चला कि मुस्लमानो की तरफ़ से केवल चौदह(14) लोग शहीद हुए हैं। इसमें छः मुहाजिर और बाकी आठ अंसार थे। लेकिन दूसरी तरफ़…
जंग की चिंगारियां भड़कते हुए: ‘क़ुरैश’ तो जंग का इंतिज़ार बड़े चाव से कर रहे थे। कुछ नेक दिल लोग भी उनके साथ थे जो चाहते थे कि जंग में खून न बहे। इसमें…
बद्र के मैदान की तरफ़: तारिख थी 12 रमजान / 2 हिजरी। लगभग 313 जांबाज़ मुस्लमान इस खूंखार जंग के लिए तैयार हो कर निकल पड़े। शहर से एक मील दूर आकर…
सुफ़्फ़ा के बरकत वाले लोग: एक चबूतरा मस्जिद नबवी के बराबर में बना हुआ था जिसे ‘सुफ़्फ़ा’ के नाम से जाना जाता है। सहाबा में से अक्सर दीन के काम के साथ-साथ…
जंग की शुरुआत: लड़ाई की शुरआत हुई तो सबसे पहले ‘आमिर हज़रमी’ आगे आया। जिसका भाई क़त्ल हुआ था। इसके सामने हज़रत ‘उमर’ रज़िअल्लाह अन्हु के ग़ुलाम आगे आये और…
हज़रत उमैर बिन वहब रज़िअल्लाह अन्हु का इस्लाम क़ुबूल करना: ‘उमैर’ रज़िअल्लाह अन्हु बिन वहब इस्लाम के कट्टर दुश्मनों में से था वो और ‘सफ़वान’ बिन उमय्या दोनों…