पाँचों नमाज़ों के बाद के अमलियात
पाँचों नमाज़ों के बाद के अमलियात* इशा की नमाज़ के बाद सौ बार पढ़ें: हुवल्लतीफुलखबीरतर्जुमा: वह पूरी तरह से और अच्छी तरह से सूचित है यानी मामूली से…
पाँचों नमाज़ों के बाद के अमलियात* इशा की नमाज़ के बाद सौ बार पढ़ें: हुवल्लतीफुलखबीरतर्जुमा: वह पूरी तरह से और अच्छी तरह से सूचित है यानी मामूली से…
नमाज़ के फ़र्ज़: वजू या गुस्ल, पाक कपड़े, पाक जगह… नमाज़ के वाजिब: फ़र्ज़ नमाज़ों की पहली दो रक्अतों में किरात, फ़र्ज़ नमाज़ों की हर रक्त में सूर: फ़ातिहा पढ़ना
मुसलमानों की दूसरी इबादतों की तरह नमाज़ में भी नीयत करना जरुरी है। अगर आप नीयत किये बगैर नमाज़ पढ़ लेंगे, तो नमाज़ न होगी और उस नमाज़ को दोहराना भी…
वजू का तरीका: जब वजू का इरादा यानि नीयत करें तो सबसे पहले बिस्मिल्लाह बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम और दूसरा कलमा पढ़ें।
गुस्ल: नमाज़ पढ़ने के लिये शरीर पाक साफ़ होना बहुत जरूरी है। इसका ध्यान रखें। पाक-साफ़ पानी लेकर दोनों हाथों को गट्टों तक तीन-तीन बार धोयें। इस्तन्जे की…
फ़ज़ाइले कुरआन मजीद: क़यामत के दिन पढ़ने वाले की सिफारिश करेगा। हर हर्फ़ पर दस नेकियाँ मिलेंगी। आदाबे तिलावते कुरआन पाक: पाक साफ़ होना। बावुजू होना। अदब …
सोने के आदाब: इशा की नमाज़ पढ़ कर जल्दी सोने की कोशिश करना। बावुजू सोना। तीन मर्तबा बिस्तर झाड़ लेना। सुरमा लगाकर सोना।…
खाने और पीने के आदाब: दस्तरख्वान बिछाना, दोनों हाथ गट्टों तक धोना, बिस्मिल्लाह पढ़ना, सीधे हाथ से खाना…
फ़र्ज़ किसको कहते हैं? फ़र्ज़ वह इबादत है जो यक़ीनी दलील से साबित हो। यानी उसके सुबूत में कोई शुबहा न हो। फ़र्ज़ का इन्कार करने वाला काफ़िर हो जाता है। और बगैर उज़ के छोड़ने वाला फ़ासिक और अज़ाब का मुस्तहिक़ है।
अल्लाह के बन्दों के हक़: अल्लाह ने हर इन्सान पर कुछ लोगों के हक़ और ज़िम्मेदारी दी है। जिनका हक़ यदि हमने अदा नहीं किया तो उनका हक़ अल्लाह माफ़ नहीं करेंगे।