सदकतुल फित्र हिजरत के दूसरे साल रमजान मुबारक में ईदुल फित्र से दो दिन पहले फर्ज हुआ। (औनुलबारी, 2/892)
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Toggleसदका-ए-फित्र की फरजियत।
766: इब्ने उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है, उन्होंने फरमाया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हर मुसलमान मर्द, औरत, छोटे-बड़े, आजाद और गुलाम पर सदका फित्र एक साअ खुजूर या जौं से फर्ज किया है और नमाज़ को जाने से पहले इसकी अदायगी का हुक्म दिया है।
फायदे : सदका फित्र एक साअ है जिसके वजन में अलग अलग अजनास के लिहाज से कमी बेशी हो सकती है। बेहतर है कि सदका फित्र की अदायगी के लिए मद या साअ का इस्तेमाल किया जाये, वैसे रायेजुलवक्त वजन दो किलो सौ ग्राम है। और इसकी कीमत अदा करना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से साबित नहीं है।
ईद से पहले सदका फित्र की अदायगी का बयान।
767: अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है, उन्होंने फरमाया कि हम रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़माने में ईदुलफित्र के दिन अपने खाने में से एक साअ अदा किया करते थे, उन दिनों हमारी खुराक जौं, किशमिश, पनीर और खजूरें थी।
फायदे : सदका फित्र एक साअ ही अदा करना चाहिए, अलबत्ता गरीब के लिए आधा साअ अदा करने की गुंजाईश है, ऐसा करना सही अहादीस से साबित है। और ईदुलफित्र की नमाज़ से पहले इसकी अदायगी जरूरी है, अगरचे तकसीम बाद में कर दिया जाये।
सदका फित्र हर आजाद या गुलाम पर वाजिब है।
768: इब्ने उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है, उन्होंने फरमाया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हर छोटे बड़े, आजाद और गुलाम पर सदका फित्र एक साअ खुजूर या एक साअ जौं फर्ज किया है।
फायदे: सदका फित्र उस जिन्स से अदा किया जाये जो साल के अकसर हिस्से में बतौर खुराक इस्तेमाल होती है, उस जिन्स से बेहतर भी बतौर फित्रा दी जा सकती है। अलबत्ता इससे कमतर को बतौर फित्रा देना ठीक नही। (औनुलबारी, 2/503)