कुरबानी करते वक़्त
इन्नी वज्जहतु वज्हि-य लिल्लज़ी फ़-त-रस्समावाति वल अर-ज़ अला मिल्लति इब्राही-म हनीफंव व मा अना मिनल मुशरिकीन० इन-न सलाती व नुसुकी व मह्या-य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आ ल मी न० ला शरी-क लहू व बि ज़ालि-क उमिर्तु व अना मिनल मुस्लिमीन० अल्लाहुम-म मिन-क व ल-क अन०
तर्जुमा- मैंने उस ज़ात की तरफ़ अपना रुख मोड़ा, जिसने आसमानों को और ज़मीन को पैदा किया, इस हाल में कि मैं इब्राहीमे हनीफ़ के दीन पर हूं और मुशरिकों में से मैं नहीं हूं। बेशक मेरी नमाज़ और मेरी इबादत और मेरा मरना और जीना सब अल्लाह के लिए है जो रब्बुल आलमीन है, जिसका कोई शरीक नहीं और मुझे इसी का हुक्म दिया गया है और मैं फ़रमांबरदारों में से हूं। ऐ अल्लाह! यह कुरबानी तेरी तौफ़ीक़ से है और तेरे ही लिए है। ‘अन’ के बाद उसका नाम ले, जिस की तरफ़ से ज़िब्ह कर रहा हो और अगर अपनी तरफ़ से ज़िब्ह कर रहा हो तो अपना नाम ले। इसके बाद ‘बिस्मल्लाहि वल्लाह अक्बर’ कह कर ज़िब्ह कर ले। -मिश्कात
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