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जुमा के दिन जुह के चार फ़र्जी के बजाए नमाज़ जुमा दोगाना अदा किया जाता है। जुमा की नमाज़ सिर्फ़ बड़ी मस्जिद में ही अदा की जा सकती है। हर मस्जिद में जुमा की नमाज़ पढ़ना मुनासिब नहीं। नमाज़ से पहले दो अजानें होती हैं। पहली अज़ान नमाज़ की अज़ान होती है। दूसरी अज़ान खुत्बे की।
पहली अज़ान के बाद आप सुन्नतें पढ़िए।
खुत्बे की अज़ान के बाद फ़ौरन खुत्बा शुरू हो जाता है। खुत्बा पूरे ध्यान से सुनना चाहिए। कोई दूसरा काम करना या नमाज़ पढ़ना मना है। जुमा की नमाज़ के लिए नहाना सुन्नत है। पाक-साफ कपड़े पहनना, खुशबु लगाना मुस्तहब है।
जब आप मस्जिद में दाख़िल हों तो पहले बैठिए नहीं, बल्कि अगर सुन्नतें पढ़नी हैं तो फ़ौरन सुन्नातें पढ़ना शुरू कर दीजिए। इस तरह इन सुन्नतों का सवाब दोगुना होगा एक उस वक़्त की सुन्नतों या नफ़्लों का और दूसरा तहीयतुल मस्जिद का, लेकिन अगर आप बैठ गए, फिर खड़े होकर सुन्न्तें पढ़ने लगे, तो सिर्फ वक़्त की सुन्नतों या नफ़लों का सवाब मिलेगा, तहीयतुल मस्जिद का सवाब नहीं मिलेगा, क्योंकि बैठ जाने के बाद तहीयतुल मस्जिद का वक़्त ख़त्म हो जाता है। अगर आपने वुजू भी किया था, फिर मस्जिद में दाखिल होकर सुन्न्तें पढ़नी शुरू कर दी , तो आप को तीन सवाब मिल सकते हैं, बशर्त की आप नीयत कर लें
- वक़्त की सुन्नतों या नुफ़्लों का,
- तहीयतुल वुजू का,
- तहीयतुल मस्जिद का।
जुमा की नमाज़ का बयान
जुमा की नमाज़ निम्न लोगों पर फर्ज है। जिस व्यक्ति का सफ़र शरी न हो, बालिग हो, आज़ाद हो, समझदार, आँखो वाला, दो पैरों वाला हो तो उस पर जुमा की नमाज़ फ़र्ज़ है। जुमा की नमाज़ आठ लोगों पर फर्ज नहीं है।
- शरी मुसाफ़िर
- बहुत ज्यादा बीमार
- गुलाम
- औरत
- दीवाना
- अंधा
- लंगड़ा
- बच्चा
जुमा की नमाज़ पढ़ने का तरीका
जुमा की नमाज़ का पूरा तरीका इस प्रकार है।
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पहले चार रकअत सुन्नत पढ़ें।
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फिर खुत्बे के बाद दो रकअत फर्ज इमाम के पीछे पढ़ें।
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फर्ज नमाज़ के बाद चार रकअत सुन्नत पढ़ें।
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फिर दो रकअत सुन्नत पढ़ें।
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फिर दो रकअत नफ्ल पढ़ें।
जुमा के लिए निम्न शर्तों का पाया जाना फर्ज है।
- जुहू का वक्त होना।
- शहर, कस्बा या बड़े गांव का होना।
- नमाज़ से पहले खुत्बा पढ़ना।
- इमाम के अलावा कम से कम तीन लोगों का मौजूद होना।
- आम इजाज़त होना।
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