जब शाम हो तो यह पढ़ें

जब शाम हो तो यह पढ़ें

jab sham ho jaye

अम्सैना व अम्सल मुल्कु लिल्लाहि रबिब्ल आलमीन अल्लाहुम-म इन्नी अस्अलु-क खै-र हाज़िहिल्लैति फ़त-ह हा व नस-रहा व नू-र हा व ब-र क-तहा व हुदाहा व अऊज़ु बि-क मिन शर्री मा फ़ीहा व शर्री मा  बअ-द हा०।

तर्जुमा- हम और सारा मुल्क अल्लाह ही के लिए हैं जो | पूरी दुनिया का रब है, हम शाम के वक़्त में दाखिल हुए। 

ऐ अल्लाह! मैं तुझ से उस रात की बेहतरी यानी उस | रात की फ़त्ह और मदद और उस रात के नूर और | बरकत और हिदायत का सवाल करता हूं और पनाह | चाहता हूं तुझ से उन चीज़ों की बुराई से जो इस रात में हैं और जो इसके बाद होंगी। -अबू दाऊद

sun, sky, clouds-1617470.jpg

या यह पढ़ें

jab sham ho ya ye padhe

अल्लाहुम-म बि-क अम्सैना व बि-क अस्बह्रा व बिक नह्या व बि-क नमूतु व इलैकन्नुशूर० 

तर्जुमा- ऐ अल्लाह! हम तेरी कुदरत से शाम के वक़्त में दाखिल हुए और तेरी कुदरत से सुबह के वक़्त में दाख़िल हुए और तेरी कुदरत से जीते और मरते हैं और मेरे पीछे जी उठ कर तेरी ही तरफ़ जाना है। -तिर्मिज़ी

यह सामग्री “Masnoon Duain with Audio” ऐप से ली गई है आप यह एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड कर सकते हैं। हमारे अन्य इस्लामिक एंड्रॉइड ऐप और आईओएस ऐप देखें।

Share this:

Leave a Comment

error: Content is protected !!