जब सफर में रात हो जाये

जब सफर में रात हो जाये

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jab safar me raat ho jaye

तर्जुमा- ऐ ज़मीन! मेरा और तेरा रब अल्लाह है। मैं अल्लाह की पनाह चाहता हूं तेरे शर से और उन चीज़ों के शर से, जो तुझ में पैदा की गयी हैं और तुझ पर चलती हैं और अल्लाह की पनाह चाहता हूं शेर से और अज़दहे से और सांप और बिच्छू से और इस शहर के रहने वालों से और बाप से और औलाद से। -हिस्न (अबूदाऊद)

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