तहज्जुद के लिए उठने पर
तर्जुमा- ऐ अल्लाह! तेरे ही लिए हम्द है, तू आसमानों का और ज़मीन का और जो कुछ उनमें है, उन सबका क़ायम रखने वाला और तेरे ही लिए हम्द है। तू आसमानों का और ज़मीन का और जो कुछ उनमें है, उन सब का रोशन रखने वाला है और तेरे ही लिए हम्द है।
तू आसमानों का और ज़मीन का और जो कुछ उनमें है उनका बादशाह है और तेरे ही लिए हम्द है, तू .. हक़ है, तेरा वायदा हक़ है, और तेरी मुलाक़ात हक़ है और तेरी बात हक़ है और जन्नत हक़ है और दोज़ख़ हक़ है और सब नबी हक़ हैं और मुहम्मद हक़ हैं और क़यामत हक़ है।
ऐ अल्लाह ! मैंने तेरी इताअत के लिए सर झुकाया और मैं तुझ पर ईमान लाया और मैंने तुझ पर भरोसा किया और मैं तेरी तरफ़ रुजूअ हुआ और तेरी कूवत से मैंने (दुश्मनों से) झगड़ा किया और तुझी को मैंने हाकिम बनाया, सो तू बख़्श दे मेरे अगले-पिछले गुनाह और जो गुनाह मैंने छिपा कर या ज़ाहिरी तौर पर किये हैं और जिन गुनाहों को तू मुझ से ज़्यादा जानता है, तू ही आगे बढ़ाने वाला है और तू ही पीछे हटाने वाला है, माबूद सिर्फ़ तू ही है और तेरे सिवा कोई माबूद नहीं। -बुख़ारी व मुस्लिम
और आसमान की तरफ़ मुंह उठा कर सूरः आले इमरान का पूरा आख़िरी रुकूअ भी ‘इन-न फ़ी ख़ल्क़ि स्समावाति‘ से ख़त्म सूरः तक पढ़े- और दस बार अल्लाहु अक्बर और दस बार अल् हम्दु लि ल्लाह और दस बार ‘सुब्हानल्लाहि व बिहम्दिही‘ और दस बार ‘सुब्हानल मलिकिल कुद्दुस‘ और दस बार ‘अस्तरिफ़रुल्लाह‘ और दस बार कलिमा तैयबा ‘ला इला-ह इल्लल्लाह‘ और दस बार यह दुआ पढ़े
अल्लाहुम-म इन्नी अऊज़ुबि-क मिन ज़ीक़िद दुन्या व ज़ीक़ि यौ मिल क़ियामo:
तर्जुमा- ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह चाहता हूं दुनिया की तंगी से और क़यामत के दिन की तंगी से। फ़िर नमाज़ शुरू करें। -मिश्कात (अबूदाऊद)
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