सोते वक़्त पढ़ने की चीजें
जब सोने का इरादा करे तो वुजू कर लें और अपने बिस्तर को तीन बार झाड़ लें, फिर दाहिनी करवट पर लेट कर सर या गाल के नीचे दाहिना हाथ रख कर यह दुआ तीन बार पढ़ें। -मिश्कात व हिस्ने हसीन
अल्लाहुम-म क़िनी अज़ा-ब-क यौ-म तज्मउ इबा-द क०
तर्जुमा- ऐ अल्लाह! तू मुझे अपने अज़ाब से बचा, जिस दिन तू अपने बन्दों को जमा कर लेगा। – बुख़ारी व मुस्लिम
बिस्मि-क रब्बी व ज़अतु जंबी बि क-व अर्फ़उहू इन अम्सक-त नफ्सी फ़र्हम्हा व इन अर्सल-तहा फ़ह्फ़ज़्हा बिमा तह्फ़जु बिही इबा-द-कस्सालिहीन०
तर्जुमा- ऐ मेरे परवरदिगार! मैंने तेरा नाम लेकर अपना पहलू रखा और तेरी कुदरत से उसको उठाउंगा। अगर तू (सोते में) मेरे नफ़्स को रोक ले (यानी मुझे मौत दे दे) तो मेरे नफ़्स पर रहम करियो और अगर तू जिंदा छोड़ दे तो अपनी कुदरत के ज़रिए उस की हिफ़ाज़त करियो, जिसके ज़रिए तू अपने नेक बन्दों की हिफ़ाज़त करता है। – बुख़ारी व मुस्लिम
अल्लाहुम-म बिस्मि-क अमूतु व अह्या०
तर्जुमा- ऐ अल्लाह! तेरा नाम लेकर मैं मरता और जीता हूं।
-बुख़ारी व मुस्लिम
अल्लाहुम-म अस्लम्तु नफ़्सी इलै-क व वज्जह्तु वज्ही इलै-क व फ़व्वज़्तु अम्री इलै-क व अल-जअतु ज़हरी इलै-क रग्बतंव-व रह-तन इलै-क ला मल् जअव ला मन-ज-अ मिन-क इल्ला इलै-क आमन्तु बिकिताबि-कल्लज़ी अन्ज़ल-त व बि नबीयि-कल्लज़ी अर्सल-त०
तर्जुमा- ऐ अल्लाह! मैंने अपनी जान तेरे सुपुर्द की और तेरी तरफ़ अपना रुख किया और तुझी को अपना काम सौंपा और मैंने तेरा ही सहारा लिया, तेरी नेमतों का चाव रखते हुए और तुझ से डरते हुए, तेरे अलावा कोई पनाह की जगह और निजात की जगह नहीं। मैं तेरी किताब पर ईमान लाया, जो तूने नाज़िल फ़रमायी है और तेरे रसूल को मैंने माना, जिसे तूने भेजा है।
एक सहाबी रज़िo को यह दुआ बता कर प्यारे नबी सल्ल. ने फ़रमाया कि इसको पढ़ लेने के बाद अगर उसी रात को तुम्हारी मौत आ जाएगी तो ‘दीने फ़ितरत’ पर मरोगे और अगर सुबह को जिंदा उठोगे तो तुमको भलाई मिलेगी। -मिश्कात
हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि जब तूने अपने बिस्तर पर पहलू रखा और सूरः फ़ातिहा और सूरः ‘कुल हुवल्लाहु अहद’ पढ़ ली, तो मौत के अलावा तू हर चीज़ से निडर हो गया। -हिस्न (बज़्ज़ार)
एक सहाबी रजि० ने अर्ज़ किया, ऐ अल्लाह के रसूल ! मुझे कुछ बताइए, जिसे (सोते वक़्त) पढ़ लूं, जबकि अपने बिस्तर पर लेटूं। हुजूरे अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि सूरः ‘कुल या ऐयुहल काफ़िरून’ पढ़ो, क्योंकि इसमें शिर्क से बेज़ारी का एलान है। -मिश्कात (तिर्मिज़ी)
कुछ हदीसों में है कि इसको पढ़ कर सो जाए यानी इसके पढ़ने के बाद किसी से न बोले। -हिस्न
हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हर रात को जब सोने के लिए बिस्तर पर तशरीफ़ लाते तो सूरः ‘कुल हुवल्लाहु अहद‘ और सूरः ‘कुल अऊजु बिर-ब्बिल फ़लक़‘ और सूरः ‘अऊज़ बिरब्बिन्नास‘ पढ़ कर हाथ को दोनों हथेलियों पर इस तरह दम करते कि कुछ थूक के झाग भी निकल जाते। इसके बाद जहां तक मुमकिन हो सकता था, पूरे बदन पर दोनों हाथों को फेरते थे। तीन बार ऐसा ही करते और हाथ फेरते वक़्त सर और चेहरे और सामने के हिस्से से शुरू फ़रमाते। -बुख़ारी व मुस्लिम
इसके अलावा 33 बार सुब्हानल्लाह, 33 बार अल्हम्दु लिल्लाह, 34 बार अल्लाहु अकबर भी पढ़े। -मिश्कात
और आयतुल कुर्सी भी पढ़े। इसके पढ़ने वाले के लिए अल्लाह की तरफ़ से रात भर एक हिफ़ाज़त करने वाला फ़रिश्ता मुक़र्रर रहेगा। कोई शैतान उसके पास न आयेगा। -बुख़ारी
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