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Toggleनीचे 40 तरह का सदक़ा दिया गया है।
- सूब्हानअल्लाह कहना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
- अल्हम्दुलिल्लाह कहना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
- ला इलाहा इल्लल्लाह कहना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
- अस्तग़फ़िरूल्लाह कहना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
- नेकी का हुक्म देना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
- बुराई से रोकना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
- घर वालों पर सवाब की नियत से ख़र्च करना सदक़ा है। [बुखारी: 55]
- दो लोगों के बीच इंसाफ़ करना सदक़ा है। [बुखारी: 2518]
- किसी आदमी को सवारी पर बैठाना या उस का सामान उठा कर रखवाना सदक़ा है। [बुखारी: 2518]
- अच्छी बात करना सदक़ा है। [बुखारी: 2989]
- हर वह क़दम जिस से चल कर नमाज़ की तरफ़ जाए, सदक़ा है। [बुखारी: 2518]
- रास्ते से तकलीफ़ देने वाली चीज़ हटाना सदक़ा है। [बुखारी: 2518]
- ख़ुद खाना सदक़ा है। [नसाइ – कुब्रा: 9185]
- अपने बेटे को खिलाना सदक़ा है । [नसाइ – कुब्रा: 9185]
- अपनी बीवी को खिलाना सदक़ा है। [नसाइ – कुब्रा: 9185]
- अपने नौकर को खिलाना सदक़ा है। [नसाइ – कुब्रा: 9185]
- किसी मुसिबत ज़दा हाज़त मंद की मदद करना सदक़ा है। [नसाइ: 253]
- अपने भाई से मुस्कुरा कर मिलना सदक़ा है। [तिर्मिज़ी: 1963]
- अपने भाई की मदद करना सदक़ा है। [अबु याला: 2434]
- पानी का एक घूंट पिलाना सदक़ा है। [अबु याला: 2434]
- अपने मिलने वाले को सलाम करना सदक़ा है। [अबु दाऊद: 5243]
- आपस मे सुलह करवाना सदक़ा है। [बुखारी – तारीख़: 3/259]
- तुम्हारे दरख़्त या ख़ेती से जो कुछ खाए तुम्हारे लिए सदक़ा है। [मुस्लिम: 1553]
- भूखे को खाना खिलाना सदक़ा है। [बैहक़ी – शुएब: 3367]
- पानी पिलाना सदक़ा है। [बैहक़ी – शुएब: 3368]
- दो मर्तबा क़र्ज़ देना एक मर्तबा सदक़ा देने के बराबर है। [इब्न माजह: 3430]
- किसी आदमी को अपनी सवारी [गाड़ी] पर बैठा लेना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1009]
- गुमराही की सरज़मीन पर किसी को हिदायत देना सदक़ा है। [तिर्मिज़ी: 1963]
- ज़रूरत मंद के काम आना सदक़ा है। [इब्न हब्बान 3368]
- इल्म सीख कर मुसलमान भाई को सिखाना सदक़ा है। [इब्न माजह: 243]
- दूसरों को नुकसान पहुंचाने से बचना सदक़ा है। [बुखारी: 2518]
- अंधे को रास्ता बताना सदक़ा है। [इब्न हब्बान: 3368]
- बहरे के साथ तेज़ अवाज़ से बात करना सदक़ा है। [इब्न हब्बान: 3368]
- गूंगे को इस तरह बताना कि वह समझ सके, सदक़ा है। [इब्न हब्बान: 3377]
- कमज़ोर आदमी की मदद करना सदक़ा है। [इब्न हब्बान: 3377]
- रास्ते से पत्थर, कांटा और हड्डी हटाना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
- मदद के लिए बुलाने वाले की दौड़ कर मदद करना सदक़ा है। [इब्न हब्बान: 3377]
- अपने डोल से किसी भाई को पानी देना सदक़ा है। [तिर्मिज़ी: 1956]
- भटके हुए शख़्स को रास्ता दिखाना सदक़ा है। [तिर्मिज़ी: 1956]
- अल्लाहु अकबर कहना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
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कुछ हदीसें
जिस दिल मे कंजूसी है उस मे ईमान नही: बन्दे के दिल मे कभी कंजूसी और ईमान एक साथ जमा नही हो सकते। [नसाइ: 3110]
ला इलाहा इल्लल्लाह और नेकीयां: जो भी एक बार “ला इलाहा इल्लल्लाह” कहता है उस के लिए 20 नेकीयां लिखी जाएगी और 20 गुनाह मिटा दिए जाएगे। [अहमद: 7813]
चोरी का माल: जिस ने चोरी का माल ख़रीदा यह जानते हुए के चोरी का माल है वह उस के गुनाह और बुराई मे शरीक हुआ। [मुस्तदरक हाकिम: 2/35]
मुसलमान का खून: रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: मोमीन को क़त्ल करना अल्लाह के नज़दीक पूरी दुनिया के बर्बाद होने से बड़ा है। [नसाइ: 3990]
ज़्यादा से ज़्यादा मांगो: रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया – जब कोई आदमी अल्लाह से मांगे तो ज़्यादा से ज़्यादा मांगे क्योंकि वह अपने रब से मांग रहा है । [इब्न हब्बान: 889]
सलाम करने वाले की अज़मत: जब एक मुसलमान दुसरे मुसलमान को सलाम कहे और वह किसी वजह से उसका जवाब न दे पाए तो फ़रिशते उसका जवाब देते हैं । [मुस्नद बज्ज़ार: 1999]
दिखावा और छुपे बुरे ख़याल: रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया – मुझे तुम्हारे बारे मे सब से ज़्यादा डर रियाकारी [दिखावा] और ख़ुफ़िया शुहवत [छुपे बुरे ख़याल] का है । [तबरानी कबिर: 6/255]
बीवी को पानी पिलाने का सवाब: रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया – आदमी जब अपनी बीवी को पानी पिलाए तो उसे उसका भी सवाब मिलता है । [तबरानी औसत: 858]
इल्म सीखने से आता है: रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया – इल्म सीखने से आता है । [तबरानी औसत: 2684]
बेहतरीन अमल नमाज: रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया – जान लो! तुम्हारे आमाल मे बेहतरीन अमल नमाज़ है । [इब्न हब्बान: 1037]
हर वक़्त बा वज़ू: रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया – मोमीन ही हर वक़्त बा वज़ू रह सकता है । [इब्न माजह: 277]
मज़लूम की बद दुआ से बचो: रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया – मज़लूम की बद दुआ से बचो अगर चे वह काफ़िर ही क्यों न हो क्यों के उस के सामने कोई पर्दा नही । [अहमद: 12551]
जिस्म पर टैटू (Tatto) बनाना: जिस्म पर टैटू (Tatto) बनाना हराम है । [बुखारी: 5587, मुस्लिम: 5538]
जुमा ईद का दिन: रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया – अल्लाह पाक ने जुमा का दिन तुम्हारे लिए ईद का दिन बनाया है जो शख़्स नमाज़ ए जुमा के लिए आए उसे चाहिये कि ग़ुस्ल कर ले और हो सके तो ख़ुशबू लगाए और मिसवाक का अहतमाम करे। [इब्न माजह: 1098]
इल्म का शहर और दरवाज़ा: रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया- मैं इल्म का शहर हूँ और अली [रज़िअल्लाहु अन्हु] उसका दरवाज़ा है जो इस शहर मे दाख़िल होना चाहता है, वह इस दरवाज़े से आए । [हाकिम मुस्तदरक: 4637 – सही]
चौसर [Lodu] खेलना हराम है । [मुस्लिम: 5896, अबु दाऊद: 4938, अहमद: 23199]
अल्लाह पाक मज़लूम की दुआ रद्द नही करता । [बैहक़ी – शुएब: 7358]