मुफ्सिदाते, मकरूहाते नमाज़

मुफ्सिदाते नमाज़

इन चीज़ो के करने से नमाज़ फ़ासिद हो जाती है:

  • बात करना: ख़्वाह थोड़ी हो या बहुत, कस्दन हो या भूल कर।
  • ज़बान से सलाम करना या सलाम का जवाब देना।
  • छींकने वाले के जवाब मे य-हमु कल्लाह कहना।
  • रंज की खबर सुनकर इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन0 पूरा या थोड़ा पढ़ना या अच्छी खबर सुनकर अल्म्दु लिल्लाह या अजीब चीज सुनकर सुबहानल्लाह कहना।
  • दुख तकलीफ़ की वजह से आह, ओह या उफ़ करना।
  • अपने इमाम के सिवा किसी दूसरे को लुकमा देना।
  • कुरआन शरीफ़ देखकर पढ़ना।
  • अल्हम्द शरीफ़ या सूरत मे ऐसी ग़लती करना जिससे नमाज फ़ासिद हो जाती है।
  • ऐसा काम करना जिसे देखने वाला गुमान करे की यह शख्स नमाज़ नही पढ़ रहा है मसलन दोनो हाथों से काम करना।
  • क़स्दन या भूलकर कुछ खाना पीना।
  • सीना क़िबला से फिर जाना।
  • दर्द या मुसीबत की वजह से इस तरह रोना कि आवाज़ मे हुरूफ निकल आयें।
  • नमाज़ मे हँसना।
  • इमाम से आगे बढ़ जाना।

मकरूहाते नमाज़

यह चीज़े नमाज़ में मकरुह हैं:
  • कोख पर हाथ रखना।
  • किसी आस्तीन का आधी कलाई से ज़्यादा चढ़ना।
  • कपड़े समेटना।
  • जिस्म के कपड़े से खेलना।
  • उंगलियाँ चटखाना।
  • दायें-बायें गर्दन मोड़ना।
  • मर्द को जूडा गूंध कर नमाज़ पढ़ना।
  • अंगड़ाई लेना।
  • कुत्ते की तरह बैठना।
  • मर्द को सज्दे मे हाथ ज़मीन पर बिछाना।
  • सज्दे मे मर्दो के लिए पेट रानों से मिलाना।
  • बगैर उज्र के पालती मार के बैठना
  • इमाम का मेहराब के अन्दर खड़ा होना।
  • कंकरियाँ हटाना मगर जबकी ज़रुरी हो तो एक बार जाइज़ है।
  • सामने या सर पर तस्वीर होना।
  • कन्धों पर चादर या कोई कपड़ा लटकाना।
  • पेशाब, पाख़ाना या ज़्यादा भूख का तकाज़ा होते हुए नमाज़ पढ़ना।
  • सर खोलकर नमाज़ मे खड़ा होना।
  • आंखे बन्द करके नमाज़ पढ़ना।
  • उंगलियाँ चटखाना या कैंची बाँधना।
  • कमर पर हाथ रखना।
  • धात या चैन वाली घड़ी पहनकर नमाज़ पढ़ना।
  • फ़ासिक मोलिन के पीछे नमाज़ पढ़ना मस्लन जो बिला उज़र जमाअत या नमाज़ तर्क करता हो उसके पीछे नमाज़ मकरूह है।

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