जुमा
जुमा के दिन जुह के चार फ़र्जी के बजाए नमाज़ जुमा दोगाना अदा किया जाता है। जुमा की नमाज़ सिर्फ़ बड़ी मस्जिद में ही अदा की जा सकती है। हर मस्जिद में जुमा…
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जुमा के दिन जुह के चार फ़र्जी के बजाए नमाज़ जुमा दोगाना अदा किया जाता है। जुमा की नमाज़ सिर्फ़ बड़ी मस्जिद में ही अदा की जा सकती है। हर मस्जिद में जुमा…
मस्बूक़: एक या दो रक्अत के बाद जमाअत में शरीक होने वाला। जमाअत से नमाज़ पढ़ने के लिए आप मस्जिद में ऐसे वक़्त पहुंचे, जैसे अस्र की नमाज़ की एक या दो रक्अतें…
मुफ्सिदाते, मुस्तहब्बाते नमाज़: इन चीज़ो के करने से नमाज़ फ़ासिद हो जाती है: बात करना: ख़्वाह थोड़ी हो या बहुत, कस्दन हो या भूल कर। ज़बान से सलाम करना या …
नमाज़ के फ़र्ज़: वजू या गुस्ल, पाक कपड़े, पाक जगह… नमाज़ के वाजिब: फ़र्ज़ नमाज़ों की पहली दो रक्अतों में किरात, फ़र्ज़ नमाज़ों की हर रक्त में सूर: फ़ातिहा पढ़ना
फ़ज़ाइले कुरआन मजीद: क़यामत के दिन पढ़ने वाले की सिफारिश करेगा। हर हर्फ़ पर दस नेकियाँ मिलेंगी। आदाबे तिलावते कुरआन पाक: पाक साफ़ होना। बावुजू होना। अदब …
सोने के आदाब: इशा की नमाज़ पढ़ कर जल्दी सोने की कोशिश करना। बावुजू सोना। तीन मर्तबा बिस्तर झाड़ लेना। सुरमा लगाकर सोना।…
खाने और पीने के आदाब: दस्तरख्वान बिछाना, दोनों हाथ गट्टों तक धोना, बिस्मिल्लाह पढ़ना, सीधे हाथ से खाना…
फ़र्ज़ किसको कहते हैं? फ़र्ज़ वह इबादत है जो यक़ीनी दलील से साबित हो। यानी उसके सुबूत में कोई शुबहा न हो। फ़र्ज़ का इन्कार करने वाला काफ़िर हो जाता है। और बगैर उज़ के छोड़ने वाला फ़ासिक और अज़ाब का मुस्तहिक़ है।
अल्लाह के बन्दों के हक़: अल्लाह ने हर इन्सान पर कुछ लोगों के हक़ और ज़िम्मेदारी दी है। जिनका हक़ यदि हमने अदा नहीं किया तो उनका हक़ अल्लाह माफ़ नहीं करेंगे।
इस्लाम की बुनियाद पाँच बातों पर है:कलिमा तय्यिबा- यानी सच्चे दिल से और समझ से इसका पढ़ा जाना।नमाज़- यानी रोज़ाना पाक साफ़ होकर पाँच वक्त की नमाज़ पढ़ना।