हजरत खालिद बिन वलीद-33
हजरत खालिद (रज़ी अल्लाहू अनहू) को बहुत कड़वा लगा कि जब उन्होंने तलवार से दमिश्क शहर ले लिया था, तो थॉमस की चतुर कूटनीति और हजरत अबू उबैदा के बड़े रहम…
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हजरत खालिद (रज़ी अल्लाहू अनहू) को बहुत कड़वा लगा कि जब उन्होंने तलवार से दमिश्क शहर ले लिया था, तो थॉमस की चतुर कूटनीति और हजरत अबू उबैदा के बड़े रहम…
अजनादीन की लड़ाई के बाद, मुसलमान सेना दमिश्क के लिए रवाना हो गए। रास्ते में उन्हें रोकने के लिए रोमियो ने यकुसा और मरज उस सफर में जंग की जिसमें रोमियो…
बुसरा की जंग के बाद हजरत खालिद (रज़ी अल्लाहू अनहू) की कमान में मुस्लिम सेना दमिश्क गई और शहर की घेराबंदी की। लेकिन उसी बीच मुसलमानों को पता चला कि…
मरज राहित में हजरत खालिद (रज़ी अल्लाहू अनहू) को पता चला कि बुसरा में एक मुस्लिम टुकड़ी जंग लड़ रही है। हजरत अबू उबैदा (रज़ी अल्लाहू अनहू) और शुरहबिल ने…
हजरत खालिद (रज़ी अल्लाहू अनहू) के नेतृत्व में मुस्लिम सेना ‘सुवा’ पहुंचे। यह सीरिया में एक जगह थी जो हजरत खालिद को सीरिया में घुसते ही पहले मिला।
13 हिजरी, रबी उल अव्वल के महीने में, जबकि खालिद बिन वालिद अल (रज़ी अल्लाहू अनहू) हीरा में थे, उन्हें हजरत अबू बकर (रज़ी अल्लाहू अनहू) से आदेश मिला
इराक़ में जब जंग जारी था, तो तभी सीरिया में भी मुसलमानों का रोमियो के साथ जंग जारी था। पहले तो मदीना की एक छोटी सी सेना ही वहाँ लड़ रही थी।
12 हिजरी के अंत तक मुस्लिम सेना ने यूफ्रेट्स के पास कर जगह पर कब्जा कर लिया था। अब हजरत खालिद (रज़ी अल्लाहू अनहू) ने फिराज का रुख किया।
दौमतुल जंदल की जीत के बाद, हजरत खालिद (रज़ी अल्लाहू अनहू) इराक के मोर्चे पर लौट आये। इस समय तक, फारसियों ने अधिक सेना बलों को इकठ्ठा कर लिया था
दौमतुल जंदल, एक महान सामरिक महत्व का स्थान था। यह इराक और सीरिया की सीमा पर स्थित था, और मध्य अरब, इराक और सीरिया के मार्गों का मिलन स्थल था।