इल्म का बयान

इल्म की फजीलत।

54: अबू हुरैरा रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है कि एक बार रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मजलिस में लोगों से कुछ बयान कर रहे थे कि एक देहाती आपके पास आया और कहने लगा, कयामत कब आयेगी? रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (उसे कोई जवाब दिये बगैर) अपनी बातों में लगे रहे। (हाजरीन में से) कुछ लोग कहने लगे, आपने देहाती की बात को सुन तो लिया, लेकिन उसे पसन्द नहीं फरमाया और कुछ कहने लगे, ऐसा नहीं बल्कि आपने सुना ही नहीं।
जब आप अपनी गुफ्तगू (बातचीत) खत्म कर चुके तो फरमायाः कयामत के बारे में पूछने वाला कहां है? देहाती ने कहा, हाँ ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! मैं हाजिर हूँ। आपने फरमाया: जब अमानत जाया कर दी जाये तो कयामत का इन्तजार करो। उसने मालूम किया कि अमानत किस तरह जाया होगी? आपने फरमाया: जब (जिम्मेदारी के) काम नालायक लोगों के हवाले कर दिये जायें तो कयामत का इन्तजार करना।

फायदे: अम्र से मुराद दीनी मामलात हैं, जैसे खिलाफत, फैसला करना और फतवे देना वगैरह। इससे मालूम हुआ कि दीनी जरूरियात के लिए उलमा की तरफ जाना चाहिए और इल्म वालों की जिम्मेदारी है कि वह हक तलाश करने वालो को तसल्ली बख्श जवाब दें। (औनुलबारी, 1/188)

इल्मी बातें जोर-जोर से कहना।

55: अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है कि उन्होंने फरमायाः “ एक सफर में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हम से पीछे रह गये थे, फिर आप हमें इस हालत में मिले कि हम से नमाज में देर हो गई थी और हम (जल्दी जल्दी) वुजू कर रहे थे, हम अपने पांव (खूब धोने के बजाये उन) पर मसह की तरह गीले हाथ फैरने लगे। यह देखकर आपने तेज आवाज से दो या तीन बार फरमायाः दोजख में जाने वाली एड़ियों के लिए बर्बादी।

फायदे: मालूम हुआ कि जरूरत के वक्त तेज आवाज से नसीहत करने में कोई हर्ज नहीं है। मुस्लिम की हदीस से मालूम होता है कि समझाने के वक्त ऐसा अन्दाज नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है। (औनुलबारी 1/189)

मालूमात आजमाने के लिए उस्ताद का शागिर्द के सामने कोई मसला पेश करना।

56: इब्ने उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है कि उन्होंने कहाः रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः “पेड़ों में एक पेड़ ऐसा है जिसके पत्ते नहीं झड़ते और वह मुसलमान की तरह है। मुझे बतलायें, वह कौन-सा पेड़ है? इस पर लोगों ने जंगली पेड़ों का खयाल किया। अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने कहा, मेरे दिल में आया कि वह खजूर का पेड़ है, लेकिन (बुजुर्गो से) मुझे शर्म आयी, आखिर सहाबा किराम रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने कहा, आप ही बता दीजिए, वह कौनसा पेड़ है? आपने फरमाया: “वह खजूर का पेड़ है।”

फवायद: मालूम हुआ कि दीन समझने और इल्म हासिल करने में शर्म नहीं करनी चाहिए, और यह भी मालूम हुआ कि बड़ों का अदब करते हुये उन्हें बात करने का पहले मौका दिया जाये। (अलअदब 6144, 6122)

शागिर्द का उस्ताद के सामने पढ़ना और पेश करना।

57: अनस रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है, उन्होंने फरमायाः एक बार हम मस्जिद में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ बैठे हुये थे कि इतने में एक ऊंट सवार आया और अपने ऊंट को उसने मस्जिद में बिठाकर बांध दिया, फिर पूछने लगा कि तुममें से मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) कौन हैं? रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उस वक्त सहाबा किराम रज़ियल्लाह ‘अन्हु में तकिया लगाये बैठे थे। हमने कहाः यह सफेद रंग वाले तकिया लगाये हुये हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हैं। तब वह आपसे कहने लगा ऐ अब्दुल मुत्तलिब के बेटे! इस पर आपने फरमायाः कहो! मैं तुझे जवाब देता हूँ। फिर उस आदमी ने आपसे कहा कि मैं आपसे कुछ मालूम करने वाला हूँ और उसमें सख्ती करूंगा। आप दिल में मुझ पर नाराज ना हों। फिर आपने फरमाया (कोई बात नहीं) जो चाहे पूछ! तब उसने कहा: मैं आपको आपके मालिक और आपसे पहले वाले लोगों के मालिक की कसम देकर पूछता हूँ, क्या अल्लाह तआला ने आपको तमाम इन्सानों की तरफ नबी बनाकर भेजा है?

आपने फरमाया: हाँ अल्लाह तआला गवाह है। फिर उसने कहाः आप को अल्लाह की कसम देता हूँ। क्या अल्लाह तआला ने आपको दिन रात में पांच नमाजें पढ़ने का हुक्म दिया है? आपने फरमाया: हाँ अल्लाह तआला गवाह है। फिर उसने कहा: मैं आपको अल्लाह की कसम देता हूँ क्या अल्लाह तआला ने साल भर में रमजान के रोजे रखने का हुक्म दिया है? आपने फरमायाः हाँ, अल्लाह गवाह है। फिर कहने लगा: मैं आपको अल्लाह की कसम देता हूँ क्या अल्लाह तआला ने आपको हुक्म दिया है कि आप हमारे मालदारों से सदका लेकर हमारे फकीरों पर तकसीम करें? आपने फरमाया, हाँ अल्लाह गवाह है। उसके बाद वह आदमी कहने लगा: मैं उस (शरीअत) पर ईमान लाता हूँ, जो आप लाये हैं। मैं अपनी कौम का नुमाईन्दा बनकर आपकी खिदमत में हाजिर हुआ हूँ, मेरा नाम जिमाम बिन सालबा है और मैं साद बिन अबी बकर नामी कबीले से ताल्लुक रखता हूँ।

फायदे: इस हदीस से खबरे वाहिद (एक आदमी के बयान) पर अमल करने का सबूत मिलता है। और अगर दादा की शोहरत ज्यादा हो तो उसकी तरफ निस्बत करने में कोई हर्ज नहीं। (औनुलबारी 1/163)

Hadis 58

इब्ने अब्बास रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपना खत एक आदमी के साथ भेजा और उससे फरमाया कि यह खत बहरीन के  गर्वनर को पहुंचा दो, फिर बहरीन के हाकिम ने उसको किसरा तक पहुंचा दिया। किसरा ने उसे पढ़कर फाड़ दिया। रावी ने कहा, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन पर बददुआ की कि अल्लाह करे वह भी टुकड़े-टुकड़े कर दिये जायें।

फायदे: इस हदीस से मुनावला और इल्म वालों की बातों को लिख करके दूसरे मुल्कों में भेजने का सबूत मिलता है, और यह भी मालूम हुआ कि गैर मुस्लिम हुकूमत से जंग का ऐलान करने से पहले उसे दीने इस्लाम की दावत दी जाये। (औनुलबारी, 1/164)

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