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Toggleलड़के का किस उम्र में हदीस सुनना ठीक है?
68: इब्ने अब्बास रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है, उन्होंने फरमाया कि मैं एक दिन गधे पर सवार होकर आया, “उस वक्त में बालिग (जवान) होने के करीब था और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मिना में किसी दीवार को सामने किये बगैर नमाज पढ़ा रहे थे। मैं एक सफ के आगे से गुजरा और गधे को चरने के लिए छोड़ दिया और खुद सफ में शामिल हो गया, तो मुझ पर किसी ने एतराज नहीं किया।
69: महमूद बिन रबी रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है, उन्होंने फरमाया कि मुझे (अब तक) नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की एक कुल्ली याद है जो आपने एक डोल से पानी लेकर मेरे चेहरे पर की थी, उस वक्त मैं पांच बरस का था।
फायदे: मालूम हुआ कि समझदार बच्चे भी इल्म की मजलिस में हाजिर हो सकते हैं और इल्म वाले उनसे खुशी भी जाहिर कर सकते हैं। (औनुलबारी, 1 /214)
इल्म पढ़ने और पढ़ाने वाले की फजीलत।
70: अबू मूसा अशअरी रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है कि वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बयान करते हैं कि आपने फरमाया कि अल्लाह तआला ने जो हिदायत और इल्म मुझे देकर भेजा है, उसकी मिसाल तेज बारिश की सी है। जो जमीन पर बरसे, फिर साफ और उम्दा (अच्छी) जमीन तो पानी को जज्ब कर लेती (सोस लेती है और बहुत सी घास और सब्जा उगाती है, जबकि सख्त जमीन पानी को रोकती है, फिर अल्लाह तआला उससे लोगों को फायदा पहुंचाता है। लोग खुद भी पीते हैं और जानवरों को भी पिलाते हैं और उसके जरीये खेती-बाड़ी भी करते हैं।
और कुछ बारिश ऐसे हिस्से पर बरसी जो साफ और चटीला मैदान था, वह ना तो पानी को रोकता है और ना ही सब्जा उगाता है, पस यही मिसाल उस आदमी की है, जिसने अल्लाह के दीन में समझ हासिल की और जो तालीमात देकर अल्लाह तआला ने मुझे भेजा है, उनसे उसे फायदा हुआ। यानी उसने उन्हें खुद सीखा और दूसरों को सिखाया और यही उस आदमी की मिसाल है जिसने सर तक ना उठाया और अल्लाह की हिदायत को जो मैं देकर भेजा गया हूँ, कुबूल न किया।
दुनिया से इल्म उठ जाना और जहालत का आम हो जाना।
71: अनस रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है कि उन्होंने कहा रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: “यह कयामत की निशानियों में से है कि इल्म उठ जायेगा और जहालत फैल जायेगी। शराब बहुत ज्यादा पी जायेगी और जिनाकारी (बलात्कार) आम हो जायेगी।”
72: अनस रज़ियल्लाह ‘अन्हु से ही रिवायत है, उन्होंने फरमाया: “मैं तुम्हें एक हदीस सुनाता हूँ जो मेरे बाद तुम्हें कोई नहीं सुनायेगा। मैंने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते हुये सुना है कि कयामत की निशानियों में से है कि इल्म कम और जहालत गालिब हो जायेगी, जिनाकारी आम हो जायेगी। औरतें ज्यादा और मर्द कम होंगे, यहां तक कि एक मर्द पचास औरतों का सरदार होगा।
फायदे: कयामत के करीब मर्दों के कम और औरतों के ज्यादा होने की वजह यह बयान की जाती है कि ऐसे हालात में लड़ाईयां बहुत होगी। एक हुकूमत दूसरी पर चढ़ाई करेगी, उन लड़ाईयों में मर्द मारे जायेंगे और औरतें ज्यादा बाकी रह जायेगी।
इल्म की फरावानी का बयान।
73: इब्ने उमर रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत है, उन्होंने कहा कि मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सुना, आप फरमा रहे थे कि मैं एक बार सो रहा था, मेरे सामने दूध का प्याला लाया गया। मैंने उसे पी लिया, यहां तक कि सैराबी मेरे नाखूनों से जाहिर होने लगी, फिर मैंने अपना बचा हुआ दूध उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाह ‘अन्हु को दे दिया। सहाबा किराम रज़ियल्लाह ‘अन्हु ने अर्ज किया ऐ अल्लाह के रसूल ! आपने इसकी क्या ताबीर की? आपने फरमाया कि इसकी ताबीर “ इल्म” है।
फायदे: मालूम हुआ कि ख्वाब में दूध पीने की ताबीर इल्म का हासिल करना है, और अगर दूध की सैराबी को नाखूनों में देखे तो उससे इल्म की सैराबी और फरावानी (ज्यादती) मुराद ली जा सकती है। (ताबीररूया, 7007, 7006)
सवारी वगैरह पर सवार रहकर फतवा देना।
74: अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाह ‘अन्हु से रिवायत कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने आखरी हज के वक्त मिना में उन लोगों के लिए खड़े थे जो आपसे सवाल पूछ रहे थे। एक आदमी आया और कहने लगा, मुझे ख्याल नहीं रहा, मैंने कुरबानी से पहले अपना सर मुंडवा लिया है। आप फरमायाः अब कुर्बानी कर लो, कोई हर्ज नहीं। फिर एक आदमी आया और अर्ज किया, इल्म न होने से मैंने कंकरियां मारने (रमी) से पहले कुरबानी कर ली। आपने फरमाया: अब रमी कर लो, कोई हर्ज नहीं। अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाह ‘अन्हु कहते हैं कि उस दिन आप से जिस बात के बारे में पूछा गया, जो किसी ने पहले कर ली या बाद में तो आपने फरमायाः अब कर लो कुछ हर्ज नहीं।
जिसने हाथ या सर के इशारा से सवाल का जबाब दिया।
75: अबू हुरैरा रज़ियल्लाह ‘अन्हु नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बयान करते हैं कि आपने फरमायाः “आने वाले जमाने में इल्म उठा लिया जायेगा, जहालत और फितने गालिब होंगे और हर्ज ज्यादा होगा।” अर्ज किया गया: ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! हर्ज क्या चीज है? आपने अपने हाथ मुबारक से इस तरह तिरछा इशारा करके फरमाया, जैसे कि आपकी मुराद कत्ल थी।
hadis 76
असमा बिन्ते अबू बकर रज़ियल्लाहु ‘अन्हा से रिवायत है कि उन्होंने कहा कि मैं आइशा रज़ियल्लाहु ‘अन्हा के पास आयी, वह नमाज पढ़ रही थी। मैंने कहा, लोगों का क्या हाल है, यानी वह परेशान क्यों हैं? उन्होंने आसमान की तरफ इशारा किया, यानी देखो सूरज ग्रहण लगा हुआ है, इतने में लोग सूरज ग्रहण की नमाज के लिए खड़े हुये तो आइशा रज़ियल्लाहु ‘अन्हा ने कहाः सुबहान अल्लाह! मैंने पूछा (यह ग्रहण) क्या कोई (अजाब या कयामत की) निशानी है? उन्होंने सर से इशारा किया कि हाँ, फिर मैं भी (नमाज के लिए) खड़ी हो गई, यहां तक कि मैं बेहोश होने लगी तो मैंने अपने सर पर पानी डालना शुरू कर दिया। (जब नमाज खत्म हो चुकी तो) रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अल्लाह तआला की तारीफ बयान की और फरमायाः “जो चीजें अब तक मुझे ना दिखाई गई थी, उनको मैंने अपनी इस जगह से देख लिया है, यहां तक कि जन्नत और दोजख को भी, और मेरी तरफ यह वह्य भेजी गई कि कब्रों में तुम्हारी आजमाइश होगी, जैसे मसीहे दज्जाल या इसके करीब करीब फितने से आजमाये जाओगे (रावी कहता है, मुझे याद नहीं कि हजरत असमा ने कौनसा लफ्ज कहा था)
और कहा जायेगा कि तुझे उस आदमी यानी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में क्या अकीदा है? ईमानदार या यकीन रखने वाला (रावी कहता है कि मुझे याद नहीं कि असमा ने कौनसा लफ्ज कहा था)। कहेगा कि हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल हैं जो हमारे पास खुली निशानियां और हिदायत लेकर आये थे, हमने उनका कहा माना और उनकी पैरवी की, यह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हैं, तीन बार ऐसा ही कहेगा, चुनांचे उससे कहा जायेगा, तू मजे से सो जा, बेशक हमने जान लिया कि तू मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर ईमान रखता है और मुनाफिक या शक करने वाला (रावी कहता है, मुझे याद नहीं कि असमा ने कौनसा लफ्ज कहा था) कहेगा कि मैं कुछ नहीं जानता, हाँ लोगों को जो कहते सुना, मैं भी वही कहने लगा।”
फायदे: इस हदीस से कब्र के अजाब और उसमें फरिश्तों का सवाल करना साबित होता है, और जो इन्सान रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की रिसालत पर शक करता है, वह इस्लाम के दायरे से निकल जाता है और यह भी मालूम हुआ कि हल्की बेहोशी पड़ने से वुजू नहीं टूटता। (औनुलबारी, एक बटे दो सौ अट्ठाईस)