104 सूरह अल-हुमज़ह​ हिन्दी में

104 सूरह अल-हुमज़ह | Surah Al-Humazah

सूरह हुमज़ह मक्की है, जिसमें 9 आयतें हैं। इस की प्रथम आयत में यह शब्द आया है इस का अर्थ है: व्यंग करना, ताना मारना। यह सूरह पारा नंबर 30 मे है।

सूरह अल-हुमज़ह हिन्दी में | Surah Al-Humazah in Hindi

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
  1. वैलुल लिकुल्ली हुमज़तिल लुमजह
    हर ताना देने वाले चुग़लख़ोर की ख़राबी है।
  2. अल्लज़ी जमआ मालव व अद ददह
    जिसने धन एकत्र किया और उसे गिन-गिन कर रखा।
  3. यह सबु अन्ना मा लहू अख्लदह
    क्या वह समझता है कि उसका धन उसे संसार में सदा ज़िन्दा रखेगा?
  4. कल्ला लयुम बज़न्ना फिल हुतमह
    कदापि ऐसा नहीं होगा। वह अवश्य ही ‘ह़ुतमा’ में फेंका जायेगा।
  5. वमा अदराका मल हुतमह
    और तुम क्या जानो कि ‘ह़ुतमा’ क्या है?
  6. नारुल लाहिल मूक़दह
    वह अल्लाह की भड़काई हुई अग्नि है।
  7. अल्लती तत तलिऊ अलल अफ इदह
    जो(बदन को लगते ही) दिलों तक जा पहूँचेगी।
  8. इननहा अलैहिम मुअ सदह
    वह, उसमें बन्द कर दिये जायेंगे।
  9. फ़ी अमदिम मुमद ददह
    (इस तरह से कि) वे लोग आग के लम्बे-लम्बे स्तंभों मे (घिरे) होंगे।

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Surah Al-Humazah Urdu Tarjuma

Surah Al-Humazah in Arabic

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