सूरह अल-लहब मक्की है, इस में 5 आयतें हैं। इस की आयत 1 में तब्बत शब्द आने के कारण इस का नाम सूरह तब्बत है। जिस का अर्थ तबाह होना है। यह सूरह पारा नंबर 30 मे है।
जब नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को यह आदेश दिया गया कि आप करीबी संबंधियों को अल्लाह से डरायें, तो आप सफा “पहाड़ी” पर गये, और जोर से पुकाराः “हाय भोर की आपदा!” यह सुन कर कुरैश के सभी परिवार जन एकत्र हो गये। तब आप ने कहा, यदि मैं तुम से कहूँ कि इस पर्वत के पीछे एक सेना है जो तुम पर आक्रमण करने को तैयार है तो तुम मेरी बात मानोगे?
सब ने कहाः हाँ! आप ने कभी हम से झूठ नहीं फ़रमाया। आप ने फरमायाः मैं तुम्हें नर्क की बडी यातना से सावधान करता हूँ। इस पर किसी के कुछ बोलने से पहले आप के चाचा “अबु लहब” ने कहाः तुम्हारा सत्यानास हो! क्या हमें इसी लिये एकत्र किया है? और एक रिवायत यह भी है कि उस ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को मारने के लिये पत्थर उठाया, इसी पर यह सूरह उतारी गई। (सहीह बुख़ारीः 4971, और सहीह मुस्लिमः 208)
सूरह अल-लहब हिन्दी में | Surah Al Lahab in Hindi
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
तब्बत यदा अबी लहबिंव वतब्ब◌ अबू लहब के दोनों हाथ टूट जाएँ और वह ख़ुद सत्यानास हो जाए!
मा अगना अन्हु मलुहू वमा कसब◌ उसका धन तथा जो उसने कमाया उसके काम नहीं आया।
सयसला नारन ज़ात लहब◌ वह शीघ्र भड़कती हुयी आग में जायेगा।
वम रअतुहू हम्मा लतल हतब◌ तथा उसकी पत्नी भी, जो सर पर ईंधन लिए फिरती है।
फिजीदिहा हब्लुम मिम मसद◌ उसकी गर्दन में बटी हुयी मूँज की रस्सी होगी।