तकासुर का अर्थ है किसी भी चीज़ की ज़्यादती की ख्वाहिश और चाहत रखना। चाहे माल हो, दौलत हो, औलाद हो, ओहदे और शोहरत में हो।
जिस तरह इंसान दुनिया में माल ओर दौलत बढ़ जाने के चक्कर में आखिरत से दूर होता चला जा रहा है और अपने घाटे का सौदा कर रहा है। इस सूरत में इसी का उल्लेख है। यह सूरह पारा नंबर 30 मे है।
सूरह अत-तकासुर हिन्दी में | Surah At-Takathur in Hindi
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
अल्हाकुमुत् तकासुरु तुम्हें अधिक (धन) के लोभ ने मगन करके, तुमको आखिरत से भुला रखा है।
हत्ता जुरतुमुल् मक़ाबिर यहाँ तक कि तुम क़ब्रिस्तान जा पहुँचे।
कल्ला सौ-फ़ तअ्लमून निश्चय तुम्हें जल्द ही मालूम हो जायेगा।
सुम्म कल्ला सौ-फ़ तअ्लमून फिर निश्चय ही तुम्हें जल्द ही मालूम हो जायेगा।
कल्ला लौ तअ्लमू-न अिल्मल् यकी़न वास्तव में, यदि तुम्हें विश्वास होता (तो ऐसा न करते)।
ल-त-र वुन्नल् जहीम तुम नरक को अवश्य देखोगे।
सुम्म ल-त-र वुन्नहा अैनल् यक़ीन फिर सुनो, उसे अवश्य देखोगे इस दशा में कि वह यथावत विश्वास होगा।
सुम्म लतुस् अलुन्-न यौमइज़िन् अ़निन् नअ़ीम फिर उस दिन तुमसे सुख सम्पदा के बारें में अवश्य पूछ ताछ होगी।