43 सूरह अज-जुखरूफ हिंदी में पेज 1

अज-जुखरूफ में 89 आयतें और 7 रुकू हैं। यह सूरह पारा 25 में है। यह सूरह मक्का मे नाज़िल हुई। 

इस सूरह का नाम आयत 35 के शब्द ‘वज्जुखरुफन’ (चाँदी और सोने के) से लिया है।

सूरह अज-जुखरूफ हिंदी में | Surah Az-Zukhruf in Hindi

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
  1. हा-मीम्
    हा मीम।
  2. वल्-किताबिल्-मुबीन
    रौशन किताब (कुरान) की क़सम।
  3. इन्ना जअ़ल्नाहु कुर्आनन् अ़-रबिय्यल् लअ़ल्लकुम् तअ्क़िलून
    हमने इस किताब को अरबी ज़बान कुरान ज़रूर बनाया है ताकि तुम समझो।
  4. व इन्नहू फ़ी उम्मिल्-किताबि लदैना ल-अ़लिय्युन् हकीम
    और बेशक ये (कुरान) असली किताब (लौह महफूज़) में (भी जो) मेरे पास है लिखी हुयी है (और) यक़ीनन बड़े रूतबे की (और) पुरअज़ हिकमत है।
  5. अ-फ़ नज़्-रिबु अ़न्कुमुज़्ज़िक्-र सफ़्हन् अन् कुन्तुम् क़ौमम्-मुस्रिफ़ीन
    भला इस वजह से कि तुम ज़्यादती करने वाले लोग हो हम तुमको नसीहत करने से मुँह मोड़ेंगे (हरगिज़ नहीं)।
  6. व कम् अर्सल्ना मिन्-नबिय्यिन् फ़िल्-अव्वलीन
    और हमने अगले लोगों को बहुत से पैग़म्बर भेजे थे।
  7. व मा यअ्तीहिम् मिन् नबिय्यिन् इल्ला कानू बिही यस्तह्ज़िऊन
    और कोई पैग़म्बर उनके पास ऐसा नहीं आया जिससे इन लोगों ने ठट्ठे नहीं किए हो।
  8. फ़ अह्लक्ना अशद्-द मिन्हुम् बत्शंव् व मज़ा म-सलुल्- अव्वलीन
    तो उनमें से जो ज़्यादा ज़ोरावर थे तो उनको हमने हलाक कर मारा और (दुनिया में) अगलों के अफ़साने जारी हो गए।
  9. व ल-इन् स-अल्तहुम् मन् ख़-लक़स्समावाति वल्अर्ज़ ल-यक़ूलन्-न ख़-ल-कहुन्नल्-अ़ज़ीजुल्-अ़लीम
    और (ऐ रसूल) अगर तुम उनसे पूछो कि सारे आसमान व ज़मीन को किसने पैदा किया तो वह ज़रूर कह देंगे कि उनको बड़े वाकि़फ़कार ज़बरदस्त (अल्लाह ने) पैदा किया है।
  10. अल्लज़ी ज-अ़-ल लकुमुल्-अर्-ज़ मह्दंव् ज-अ़-ल लकुम् फ़ीहा सुबुलल्-लअ़ल्लकुम् तह्तदून
    जिसने तुम लोगों के वास्ते ज़मीन का बिछौना बनाया और (फिर) उसमें तुम्हारे नफ़े के लिए रास्ते बनाए ताकि तुम राह मालूम करो।
  11. वल्लज़ी नज़्ज़-ल मिनस्समा-इ मा अम्-बि क-दरिन् फ़-अन्शर्न बिही बल्द-तम्-मैतन् कज़ालि-क तुख़्-रजून
    और जिसने एक (मुनासिब) अन्दाजे़ के साथ आसमान से पानी बरसाया फिर हम ही ने उसके (ज़रिए) से मुर्दा (परती) शहर को जि़न्दा (आबाद) किया उसी तरह तुम भी (क़यामत के दिन क़ब्रों से) निकाले जाओगे।
  12. वल्लज़ी ख़-लक़ल्-अज़्वा-ज कुल्लहा व ज-अ़-ल लकुम् मिनल्-फ़ुल्कि वल्-अन्आ़मि मा तर्-कबून
    और जिसने हर किस्म की चीज़े पैदा कीं और तुम्हारे लिए कष्तियाँ बनायीं और चारपाए (पैदा किए) जिन पर तुम सवार होते हो।
  13. लि-तस्तवू अ़ला ज़ुहूरिही सुम्-म तज़्कुरू निअ्-म-त रब्बिकुम् इज़स्तवैतुम् अ़लैहि व तक़ूलू सुब्हानल्लज़ी सख़्ख़-र लना हाज़ा व मा कुन्ना लहू मुक़्रिनीन
    ताकि तुम उसकी पीठ पर चढ़ो और जब उस पर (अच्छी तरह) सीधे हो बैठो तो अपने परवरदिगार का एहसान माना करो और कहो कि वह (अल्लाह हर ऐब से) पाक है जिसने इसको हमारा ताबेदार बनाया हालांकि हम तो ऐसे (ताक़तवर) न थे कि उस पर क़ाबू पाते।
  14. व इन्ना इला रब्बिना ल-मुन्क़लिबून
    और हमको तो यक़ीनन अपने परवरदिगार की तरफ़ लौट कर जाना है।
  15. व ज-अ़लू लहू मिन् अिबादिही जुज़्अन्, इन्नल्-इन्सा-न ल-कफ़ूरुम्-मुबीन
    और उन लोगों ने उसके बन्दों में से उसके लिए औलाद क़रार दी है इसमें शक नहीं कि इन्सान खुल्लम खुल्ला बड़ा ही नाशुक्रा है।
  16. अमित्त-ख़-ज़ मिम्मा यख़्लुक़ु बनातिंव्-व अस्फ़ाकुम् बिल्-बनीन
    क्या उसने अपनी मख़लूक़ात में से ख़ुद तो बेटियाँ ली हैं और तुमको चुनकर बेटे दिए हैं।
  17. व इज़ा बुश्शि-र अ-हदुहुम् बिमा ज़-र-ब लिर्रह्मानि म-सलन् ज़ल्-ल वज्हुहू मुस्वद्-दंव्-व हु-व कज़ीम
    हालांकि जब उनमें किसी शख़्स को उस चीज़ (बेटी) की ख़ुशख़बरी दी जाती है जिसकी मिसल उसने अल्लाह के लिए बयान की है तो वह (ग़ुस्से के मारे) सियाह हो जाता है और ताव पेंच खाने लगता है।
  18. अ- व मंयुनश्श-उ फिल्-हिल्यति व हु-व- फ़िल्ख़िसामि ग़ैरु मुबीन
    क्या वह (औरत) जो ज़ेवरों में पाली पोसी जाए और झगड़े में (अच्छी तरह) बात तक न कर सकें (अल्लाह की बेटी हो सकती है)।
  19. व ज-अ़लुल् मलाइ-कतल्लज़ी-न हुम् अिबादुर्रह्मानि इनसान्, अ- शहिदू ख़ल्कहुम्, स-तुक्तबु शहा-दतुहुम् व युस्-अलून
    और उन लोगों ने फ़रिश्तों को कि वह भी अल्लाह के बन्दे हैं (अल्लाह की) बेटियाँ बनायी हैं लोग फ़रिश्तों की पैदाइश क्यों खड़े देख रहे थे अभी उनकी शहादत क़लम बन्द कर ली जाती है।
  20. व क़ालू लौ शा – अर्रह्मानु मा अ़बद्नाहुम्, मा लहुम् बिज़ालि-क मिन् अिल्मिन् इन् हुम् इल्ला यख़्-रुसून
    और (क़यामत) में उनसे बाज़पुर्स की जाएगी और कहते हैं कि अगर अल्लाह चाहता तो हम उनकी परसतिश न करते उनको उसकी कुछ ख़बर ही नहीं ये लोग तो बस अटकल पच्चू बातें किया करते हैं।
  21. अम् आतैनाहुम् किताबम्-मिन् क़ब्लिही फ़हुम् बिही मुस्तम्सिकून
    या हमने उनको उससे पहले कोई किताब दी थी कि ये लोग उसे मज़बूत थामें हुए हैं।
  22. बलू क़ा-लू इन्ना वजद्ना आबा-अना अ़ला उम्म-तिंव्व इन्ना अ़ला आसारिहिम् मुह्तदून
    बल्कि ये लोग तो ये कहते हैं कि हमने अपने बाप दादाओं को एक तरीके़ पर पाया और हम उनको क़दम ब क़दम ठीक रास्ते पर चले जा रहें हैं।
  23. व कज़ालि-क मा अर्सल्ना मिन् क़ब्लि-क फ़ी क़र्-यतिम् मिन् नज़ीरिन् इल्ला क़ा-ल मुत्-रफ़ूहा इन्ना वजद्ना आबा-अना अ़ला उम्म- तिंव्व इन्ना अ़ला आसारिहिम्-मुक़्तदून
    और (ऐ रसूल) इसी तरह हमने तुमसे पहले किसी बस्ती में कोई डराने वाला (पैग़म्बर) नहीं भेजा मगर वहाँ के ख़ुशहाल लोगों ने यही कहा कि हमने अपने बाप दादाओं को एक तरीके़ पर पाया, और हम यक़ीनी उनके क़दम ब क़दम चले जा रहे हैं।
  24. क़ा-ल अ-व लौ जिअ्तुकुम् बि-अह्दा मिम्मा वजत्तुम् अ़लैहि आबा-अकुम्, क़ालू इन्ना बिमा उर्सिल्तुम् बिही काफ़िरून
    (इस पर) उनके पैग़म्बर ने कहा भी जिस तरीक़े पर तुमने अपने बाप दादाओं को पाया अगरचे मैं तुम्हारे पास इससे बेहतर राहे रास्त पर लाने वाला दीन लेकर आया हूँ (तो भी न मानोगे) वह बोले (कुछ हो मगर) हम तो उस दीन को जो तुम देकर भेजे गए हो मानने वाले नहीं।
  25. फ़न्त-क़म्ना मिन्हुम् फ़न्जुर् कै-फ़ का-न आ़कि-बतुल् मुकज़्ज़िबीन
    तो हमने उनसे बदला लिया (तो ज़रा) देखो तो कि झुठलाने वालों का क्या अन्जाम हुआ।
  26. व इज़् क़ा-ल इब्राहीमु लि-अबीहि व क़ौमिही इन्ननी बराउम् मिम्मा तअ्बुदून
    (और वह वख़्त याद करो) जब इबराहीम ने अपने (मुँह बोले) बाप (आज़र) और अपनी क़ौम से कहा कि जिन चीज़ों को तुम लोग पूजते हो मैं यक़ीनन उससे बेज़ार हूँ।
  27. इल्लल्लज़ी फ़-त-रनी फ़-इन्नहू स-यह्दीन
    मगर उसकी इबादत करता हूँ, जिसने मुझे पैदा किया तो वही बहुत जल्द मेरी हिदायत करेगा।
  28. व ज-अ़-लहा कलि मतम्-बाक़ि-यतन् फ़ी अ़क़िबिही लअ़ल्लहुम् यर्जिअून
    और उसी (ईमान) को इबराहीम ने अपनी औलाद में हमेशा बाक़ी रहने वाली बात छोड़ गए ताकि वह (अल्लाह की तरफ़ रूजू) करें।
  29. बल् मत्तअ्तु हाउला-इ व आबा-अहुम हत्ता जा- अहुमुल्-हक़्क़ु व रसूलुम्- मुबीन
    बल्कि मैं उनको और उनके बाप दादाओं को फायदा पहुँचाता रहा यहाँ तक कि उनके पास (दीने) हक़ और साफ़ साफ़ बयान करने वाला रसूल आ पहुँचा।
  30. व लम्मा जा-अहुमुल्-हक़्क़ु क़ालू हाज़ा सिह्-रूंव् व इन्ना बिही काफ़िरून
    और जब उनके पास (दीन) हक़ आ गया तो कहने लगे ये तो जादू है और हम तो हरगिज़ इसके मानने वाले नहीं।

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