नात: ठंडी ठंडी हवा रहमतों की चली

Thandi Thandi Hawa Rehmaton Ki Chali: Naat

ठंडी ठंडी हवा रहमतों की चली
बन के मौज-ए-करम मुस्तफ़ा आ गए
हल मेरी हो गईं ख़ुद-ब-ख़ुद मुश्किलें
सारे ‘आलम के मुश्किल-कुशा आ गए

आ गए! आ गए! मुस्तफ़ा आ गए!
आ गए! आ गए! मुस्तफ़ा आ गए!

आमिना का मुक़द्दर सँवारा गया
गोद में चाँद जिस की उतारा गया
हूर-ओ-ग़िल्माँ सलामी को झुकने लगे
पढ़ते रिज़वान सल्ले ‘अला आ गए

आ गए! आ गए! मुस्तफ़ा आ गए!
आ गए! आ गए! मुस्तफ़ा आ गए!

दोनों ‘आलम की क़िस्मत बदलने लगी
नूर में सारी कौनैन ढलने लगी
ख़ुश-मुक़द्दर हलीमा ! मुबारक तुझे
गोद में तेरी ख़ैर-उल-वरा आ गए

आ गए! आ गए! मुस्तफ़ा आ गए!
आ गए! आ गए! मुस्तफ़ा आ गए!

बन गई है ज़मीं रश्क-ए-बाग़-ए-जिनाँ
सज गए आसमाँ, खिल उठे गुल्सिताँ
माँग लो रहमतें, खोल लो झोलियाँ
दे ने ख़ैरात हाजत-रवा आ गए

आ गए! आ गए! मुस्तफ़ा आ गए!
आ गए! आ गए! मुस्तफ़ा आ गए!

आज कोई भी, साइम ! न ख़ाली रहे
सब मुरादें मिलें, हर मुसीबत टले
मदनी आक़ा की आमद का सदक़ा मिले
भीक ले ने को हम, या ख़ुदा ! आ गए

आ गए! आ गए! मुस्तफ़ा आ गए!
आ गए! आ गए! मुस्तफ़ा आ गए!

शायर: अल्लामा साइम चिश्ती

Thandi Thandi Hawa Rehmaton Ki Chali Video​

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