नात​: मदीना आने वाला है

नात: मदीना आने वाला है​

संभल जा ए दिले मुजतर मदीना आने वाला है,
लुटा ए चश्मे तर ग़ौहर मदीना आने वाला है

क़दम बन जाए मेरा सर मदीना आने वाला है,
बिछूं मैं राह मैं बनकर मदीना आने वाला है

जो देखे उनका नक़्श-ए-पा खुदा से वो नज़र मागूं,
चिराग़-ए-दिल चलूं लेकर मदीना आने वाला है

करम उनका चला यूं दिल से कहता राहे तैबा में,
दिल-ए-मुज्तर तसल्ली कर मदीना आने वाला है

निछावर हैं मदीना की ये मेरा दिल मेरी आँखें,
निछावर हूँ मदीना पर मदीना आने वाला है

इलाही मैं तलबगारे फ़ना हूँ ख़ाक-ए-तैबा मैं,
इलाही कर निसार-ए-दर मदीना आने वाला है

मदीना को चला मैं बे नियाज़-ए-रहबर ए मंज़िल,
राहे तैबा है खुद रहबर मदीना आने वाला है

मुझे खींचे लिये जाता है शौक़-ए-कूचा ए जानान,
खिंचा जाता हूँ मैं यकसर मदीना आने वाला है

वो चमका गुम्बदे ख़ज़रा वो शहरे पुर ज़िया आया,
ढले अब नूर में पैकर मदीना आने वाला है

तलबगार-ए-मदीना तक मदीना खुद ही आ जाए,
तू दुनिया से कनारा कर मदीना आने वाला है

मदीना आ गया अब देर क्या है सिर्फ इतनी सी,
तू खाली कर ये दिल का घर मदीना आने वाला है

फ़लक शायद ज़मीन पर रहे गया ख़ाक-ए-गुज़र बन कर,
बिछे हैं राह में अख़्तर मदीना आने वाला है

क़मर आया है शायद उनके तलवों की ज़िया लेने,
बिछा है चांद का बिस्तर मदीना आने वाला है

मुहम्मद के ग़दा कुछ फ़र्श वाले ही नहीं देखो,
वो आता है शाहे ख़ाबर मदीना आने वाला है

गुबार-ए-राहे अनवर किस क़दर पुर नूर है “अख़्तर”,
तनी है नूर की चादर मदीना आने वाला है

✒ मुफ़्ती अख़्तर रज़ा खान अज़हरी अलैहिर्रहमा

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