साहिबे कुरआन से कहा जाएगा कि कुरआन मजीद पढ़ते जाओ और जन्नत में बुलन्द दरजात की तरफ बढ़ते जाओ क्योंकि उसकी मंजिल वहां तक है जहां तक वह आख़िरी आयत की तिलावत करेगा।
दिल का ज़ंग दूर करेगा।
कुरआन शरीफ़ पढ़ने से अल्लाह की मुहब्बत में ज्यादती होती है।
आदाबे तिलावते कुरआन पाक
पाक साफ़ होना।
बावुजू होना।
अदब के साथ बैठना।
कुरआन शरीफ़ को रेहल या साफ़ तकिये पर रखना।
उसकी तरफ पाँव न करना।
उससे ऊँची जगह न बैठना।
तअव्वुज़ और तस्मिय: से शुरू करना।
कुरआन मजीद पढ़ने के दरमियान बातें न करना।
अगर बातें करें तो फिर से तअव्वुज़ पढ़कर शुरू करना।
क़वाइद के मुताबिक ठहर-ठहर कर पढ़ना और अच्छी आवाज़ से पढ़ना।